Udaipur. मुनि रविन्द्र कुमार ने ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप की आराधना के महापर्व पर्युषण पर कहा कि सब जीवों को मैं क्षमा करता हूं तथा सभी मुझे क्षमा करें। किसी से मेरा बैर-भाव नहीं, अगला व्यक्ति करे या न करे हमें आगे होकर क्षमायाचना करनी चाहिये। अतीत को भूलना आवश्यक है, क्षमा वीरों का आभूषण है।
अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में आयोजित सामूहिक क्षमायाचना दिवस पर मुनि पृथ्वीराज ने कहा कि क्रोध, मान, माया, लोभ अहंकार के लेखेजोखों को टटोल कर क्षमा लेना एवं क्षमा देना दोनों ही महत्वपूर्ण कार्य है। हर प्राणी मात्र के प्रति करूणा का भाव रखे क्षमा से विनम्रता, सरलता तथा ऋजुता आएगी। मुनि दिनकर एवं मुनि शांतिप्रिय ने भी क्षमायाचना के महत्व पर प्रकाश डाला। इससे पूर्व संवत्सरी महापर्व के प्रतिक्रमण के बाद सभी ने एक दूसरे को खमतखामणा एवं मिच्छामी दुकड़म कहकर आपस में क्षमायाचना की।
इससे पहले सभा अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने सर्वप्रथम आचार्य महाश्रमण, साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा, मंत्री मुनि सुमेरमलजी तथा यहां विराजित मुनि रविन्द्र कुमार मुनि पृथ्वीराज, मुनि दिनकर एवं मुनि शांतिप्रिय से मन, वचन एवं काया से खमतखामणा की। इस अवसर पर संरक्षक शांतिलाल सिंघवी, गणेश डागलिया, धीरेन्द्र मेहता, मंजू चौधरी, सूर्यप्रकाश मेहता ने भी विचार व्यक्त किये। सभा मंत्री अर्जुन खोखावत ने समारोह का संचालन तथा राजेन्द्र बाबेल ने आभार व्यक्त किया। अन्त में मुनिश्री द्वारा मंगल पाठ का श्रवण करा कार्यक्रम का समापन किया।