फतहनगर. खरीफ की फसलें इस बार अतिवृष्टि की शिकार हो गई तथा हर ओर इसके चलते खराबा अधिक हुआ। पिछले वर्ष ग्वार की फसलें अच्छी हुई थी तथा पूर्व में इसके भाव सोने से भी अधिक महंगे होने से अधिसंख्य किसानों ने ग्वार की फसल को ही तववजो दी थी।
अधिक पैदावार होने के बाद ग्वार के भाव भी एकदम नीचे आ गए तथा किसानों के घरों में ग्वार आज भी पड़ा है। कम दाम पर किसान ग्वार देना नहीं चाहता। ग्वार का क्रेज इतना बढ़ा कि इस मर्तबा भी अधिसंख्य किसानों ने ग्वार अधिक और अन्य फसलें कम बोई। अधिक पानी गिरने से ग्वार की फसलें तो पूरी तरह से चौपट हो गई। इन फसलों से किसान बीज का पैसा भी नहीं पा सका है। इसके अलावा मकका की फसलें लहलहा रही थी लेकिन अंतिम दौर में अनवरत बारिश के चलते इस फसल के भी हालात खराब हो गए तथा उत्पादन महज 10 से 15 फीसदी पर आ टिका। इसके अलावा मूंगफली, मूंग व उड़द की फसलें पूरी तरह से चौपट हो गई। हर ओर से किसानों की मांग उठ रही है कि सरकार फसलों की बर्बादी का कुछ तो मुआवजा दे ताकि खाद, बीज एवं हंकाई का पैसा तो मिल सके। इस बार खरीफ की फसल ने किसानों की कमर ही तोड़ दी है। ऐसे में कई किसानों की हालत तो रबी की बुवाई करने तक की भी नही रही।