वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति उमंग ने मनाया 5 वां स्थापना दिवस
उदयपुर। लुधियाना के वैद्य बी. आर. तनेजा ने कहा कि प्राय: वृद्ध लोगों की अनदेखी की जाती है। जहां वृद्ध माता-पिता का निरादर होता हो तो वहां नहीं रहना चाहिये क्योंकि उनका निरादर करने वालों को एक नहीं सात जन्मों तक सुख नसीब नहीं होता। वृद्ध माता-पिता की सेवा व उनके आशीर्वाद में इतनी शक्ति होती है कि उससे जीवन में जितना हासिल होता है, उतना ईश्वर भी नहीं दे सकता।
वे योग सेवा समिति परिसर में वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति उमंग के 5 वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर गीत, संगीत का आयोजन हुआ। वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान के साथ धूमधाम से मनाया गया। समारोह के अतिथि मुस्कान क्लब के संस्थापक के. जी. गट्टानी, उद्योगपति बी. एच. बापना, राज लोढ़ा, मधुसूदन सुखवाल थे।
गट्टानी ने कहा कि भारत में वरिष्ठ नगारिकों को उपेक्षित कहा जाता है जबकि यूरोप में गोल्डन एज। सरकार अब जिस प्रकार से वरिष्ठ नागरिकों के लिए विभिन्न प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करा रही है, उससे लगता है कि अब इनका स्वर्णिम दौर आ रहा है। राज लोढ़ा ने कहा कि वर्तमान में युवा जिस प्रकार से प्रगति हासिल कर रहा है, उससे अब लगता है कि वरिष्ठ नागरिकों व युवाओं दोनों को मिलकर आगे बढऩा चाहिए। मधुसूदन सुखवाल ने वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति उमंग के संस्थापक अध्यक्ष डॅा. सुन्दरलाल दक से पेरिस में योग शिविर लगाने हेतु निवेदन किया। समारोह को बी. एच. बापना ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर पन्ना कारिया ने जहां ‘तेरे मेरे बीच में है कैसा है ये बंधन..’, ‘ठाड़े रहियो ओ बांके यार रे..’, रेखा जैन ने भजन ‘माटी का है तन, माटी का भवन..’, सौम्या तलेसरा ने ‘प्यार दीवाना होता है..’, ‘हमसे है रोशन चांद और तारे..’ की गीतों की प्रस्तुति दी वहीं तिथि बोहरा ने ‘जीना यहां मरना यहां..’, युक्ति खमेसरा ने ‘ना ही छेड़-छेड़ मोहे..’, शारदा तलेसरा व चन्द्रा मेहता ने ‘ओ लड़ली झूमा-झूमा रे, म्हारो गोरबंध नखरालो..’ पर नृत्य की प्रस्तुति देकर तालियां बटोरी। समारोह में अतिथियों ने 5 वें स्थापना दिवस पर केक काटा तथा 75 वर्ष पार सदस्यों चतरसिंह कावडिय़ा, बलवन्तसिंह ओरडिय़ा, रोशनलाल कोठारी, 95 वर्षीय कन्हैयालाल टाया, सहित कार्यक्रम संचालक आलोक पगारिया को तथा जैन सोश्यल ग्रुप के सदस्यों ने प्रख्यात चित्रकार शैल चोयल, गज़ल गायक डॉ. प्रेम भण्डारी, पत्रकार प्रदीप मोगरा का माल्यार्पण कर, शॉल ओढ़ाकर,पगड़ी पहनाकर एवं स्मृतिचिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। संचालन डॉ. सुन्दरलाल दक व आलोक पगारिया ने किया। अंत में सचिव वर्धमान मेहता ने धन्याद ज्ञापित किया।