फोरेस्ट मैनेजमेन्ट संस्थान के विद्यार्थियों की क्षेत्रीय अनुभव सेमिनार
उदयपुर। जिन क्षेत्रों में बरसात की कमी से पानी की उपलब्धता अल्प रही है, वहां के समाज में उद्यमिता, समरसता व जीवन्तता अधिक है। राजस्थान के शेखावटी व मारवाड़ सहित पूरा पश्चिमी राजस्थान इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
ये विचार विद्या भवन पॉलीटेक्निक के प्राचार्य अनिल मेहता ने भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा संचालित भोपाल स्थित फोरेस्ट मैनेजमेन्ट संस्थान के प्रबन्धन विद्यार्थियों की क्षैत्रिय अनुभव सेमिनार में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि क्षेत्र ने उच्च कोटि के साहित्यकार, उद्योगपति, रंगकर्मी दिये है। जहां पानी की बहुतायत है, वहां आपसी मनमुटाव, झगड़े ज्यादा है। इस दृष्टि से यह अनुमान कि पानी की कमी युद्ध का कारण बनेगी, नकारा जा सकता हैं। मेहता ने कहा कि जल का बेहतर प्रबंधन समृद्धि सुनिश्चित करता है, वहीं बेतरतीब दुरुपयोग, अतिउपयोग, विनाश का सूचक है।
उदयपुर एवं भोपाल की झीलों की स्थिति का तुलनात्मक विवेचन करते हुए मेहता ने कहा कि भोपाल का झील संरक्षण मोडल ज्यों का त्यों उदयपुर के लिये लागू नहीं किया जा सकता है। झीलों की सही व वैज्ञानिक परिभाषा व समझ के अभाव में झीलें सिकुड़ रही है। फोरेस्ट मैनेजमेंट संस्था के भास्कर सिन्हा ने कहा कि पर्यावरण व जल संरक्षण में संस्थाओं के निरन्तर प्रयास निस्संकदेह प्रशंसनीय है तथापि सरकार व संस्थाओं में अधिक गतिशील समन्वय स्थापित करना होगा।
पॉलीटेक्निक द्वारा संचालित रोजगारोन्मुखी कार्यक्रमों का प्रस्तुतिकरण देते हुए सीडीटीपी के सलाहकार सुधीर कुमावत ने कहा कि तकनीकी व्यवसायों में गांव स्तर पर स्वरोजगार स्थापित होने से पहाड़, पानी सहित समस्त प्रकृति संसाधन बच सकेंगे। विद्या भवन प्रकृति साधना केन्द्र के समन्वयक आर. एल. श्रीमाल ने युवाओं, पहाड़, पानी के संरक्षण के लिए विद्या भवन द्वारा किये जा रहे जमीनी प्रयासों के बारे में जानकारी दी। चांदपोल नागरिक समिति के तेजशंकर पालीवाल ने युवा समूह को झीलों की पर्यावरणीय स्थिति के बारे में मौके पर ले जाकर अवगत कराया। युवाओं को वन विभाग के अधिकारी डी. के तिवारी ने भी संबोधित किया।