महिला सुरक्षा विषयक संगोष्ठी
उदयपुर। महिला दिवस पर महिलाओं के सम्मान में यंग एंटरप्रेनयोर्स ग्रुप ऑफ लेकसिटी व हेल्थलाइन फिटनेस स्टूडियो द्वारा फतह सागर स्थित रेस्टोरेंट राणाजी में कार्यक्रम आयोजित किया गया। उधर राजस्थान विद्यापीठ में महिला अध्यटयन केन्द्र् की ओर से महिला सुरक्षा विषयक संगोष्ठी का आयोजन भी हुआ।
राणाजी में हुए समारोह में प्रतिभागी महिलाओं ने अपनी-अपनी प्रतिभा दिखाई तथा समाज में विशिष्टह योगदान रखने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया। संयोजक प्रशांत जैन ने बताया कि महिलाओं को आधी दुनिया ऐसे ही नहीं कहा जाता आज हम अपने समाज, परिवार, देश और दुनिया को बिना महिलाओं के सोच भी नहीं सकते अगर घर में महिला मां, बेटी, बहन, और पत्नी के रूप में मौजूद है तो यही माँ बेटी बहन समाज में देश में और दुनिया में हर क्षेत्र में अग्रणी है। प्रशांत ने बताया कि यही सोच लिए युवा नव उधमियों का ग्रुप एंटरप्रेनियर्स ग्रुप ऑफ लेकसिटी व हेल्थ लाइन फिटनेस स्टूडियो ने महिलाओं के सम्मान में फतह सागर स्थित राणाजी रेस्टोरेंट में कार्यक्रम आयोजित किया।
हेल्थलाइन फिटनेस स्टूडियो के डायरेक्टर डॉ व्योम बोलिया ने बताया कि आज के कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पन्नाधाय जानना अस्पताल की अधीक्षक डॉ चंद्रा माथुर थी जिन्होंने कार्यक्रम मंी भाग लेने वाली सभी महिलाओं को प्रोत्साहित करते हुए आत्मनिर्भर बनने का संदेश दिया और कहा कि वर्तमान युग महिलाओं का है। और अब पुरुषों क़े साथ कन्धे सें कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में महिलाये आगे आयी है। कार्यक्रम में समाज में विशिष्ट योगदान देने क़े लिए महिलाओं का सम्मान किया गया। कार्यक्रम के दौरान आई महिलाओं ने खेल कूद एवं विभिन्न गतिविधियों द्वारा महिलाओं नें मनोरंजन किया.
महिला नीतियों को सख्ती से करना होगा लागू
महिलाएं कल भी खतरे में थी, आज भी हैं और कल भी रहेगी। अपराधों की प्रकृति बदली हैं तो अपराध करने का तरीका भी। लिंग विभेद के चलते महिला नीतियां भी बनाई गई। बदलाव भी किए गए। आज भी इसके सफल क्रियान्वयन को लेकर संशय की स्थितियं हैं, कारण दिल्ली दुष्कर्म और राजसमंद में हुए कांड है। इसके लिए कुछ विकल्प भी है। नीतियों को सख्ती से लागू करें या महिला ही महिला की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाए। वर्तमान में शिक्षा क्षेत्र में महिला सुरक्षा विषयक इस संगोष्ठी में स्वयं सेवी संगठन, कॉलेज छात्राएं और विद्यापीठ की कार्यकर्ताएं उपस्थित थी। संगोष्ठी की अध्यक्षता महिला अध्ययन केंद्र की डॉ. मंजू मांडोत ने की।
लिंग विभेद में हो बदलाव : उच्च शिक्षा एवं शिक्षा आदि में लिंग विभेद को लेकर कई बदलाव की आवश्यकता है जिससे महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ उनकी आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान में भी बढ़ोत्तरी होगी। महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचार को लेकर विशेष कानून तो बनाए जाएं, साथ ही मामले में स्पष्टता और शीघ्रता के लिए अन्य कई व्यवस्थाएं भी होनी चाहिए।
परिवार में बदलाव भी कारण : डॉ. मंजू मांडोत ने कहा कि समाज स्त्री-पुरुषों में समाज स्त्री पुरुषों में किए जा रहे भेद भाव को नारी असुरक्षा का करण बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय संयुक्त परिवार महिला सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कहा कि वर्तमान में एकल परिवार हो रहे हैं, जिसके चलते महिलाओं की सुरक्षा में भी कमी हुई है। संयोजन करते हुए जनशिक्षण एवं विस्तार कार्यकम निदेशालय के निदेशक डॉ. ललित पांडे ने कहा कि उच्च शिक्षा में प्रयास किए जाने आवश्यक है। इसके लिए नैतिक व संस्कारवान शिक्षा दी जानी चाहिए। इस अवसर पर डॉ. मंजू मांडोत, अरुण पानेरी, डॉ. वीपी शर्मा, चितरंजन नागदा, डॉ. लालाराम जाट एवं डॉ. संजीव पुरोहित आदि उपस्थित थे। संचालन प्रभारी राकेश दाधीच ने किया। धन्यवाद डॉ. संजीव राजपुरोहित ने किया।