बहुरूपिया कलाकारों ने लिया वेश सज्जा व मास्क का ज्ञान
शिल्पग्राम में राष्ट्रीय बहुरूपिया कार्यशाला
उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित राष्ट्रीय बहुरूपिया कार्यशाला के में शुक्रवार को प्रतिभागी बहुरूपी कला साधकों ने सामग्री सृजन तथा कॉस्ट्यूम पर ज्ञानार्जन किया तथा शाम को सज-धज कर कला को दिखाया। शनिवार व रविवार को कार्यशाला में आए बहुरुपिया कलाकार शाम को फतहसागर की पाल पर अपनी कला का प्रदर्शन जन सामान्य के लिए करेंगे।
गांव, गली, चौराहे व शहर के बाजारों में नाना रूप धारण कर लोगों का मनोरंजन कर अपनी आजीविका चलाने वाले बहुरूपिया कलाकारों को एक मंच पर लाने तथा उनकी कला को निखारने के लिये केन्द्र द्वारा शिल्पग्राम में आयोजित राष्ट्रीय बहुरूपिया कार्यशाला के तीसरे दिन संभागी कला साधकों ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के स्नातक डॉ. लईक हुसैन से वेश विन्यास व कॉस्ट्यूम के बारे में जानकारी ली। इस दौरान यह बताया गया कि एक बहुरूपिया कलाकार किस प्रकार से कॉस्ट्यूम से किसी किरदार को उभार सकता है। इसके बाद नई दिल्ली के रूपेश सहाय ने बहुरूपी कलाकारों को मास्क बनाने तथा मुखौटे के माध्यम से अपनी कला का प्रसार करने के गुण बताए।
शाम को बहुरूपिया कलाकारों ने अपने चेहरों को रंगा व वेशभूषा धारण कर अपनी कला का प्रदर्शन किया जिसमें पौराणिक कथाओं के चरित्रों में नारद, श्रीराम, भगवान शंकर आदि के अलावा ग्रामीण हिला, बंदर, राक्षसी आदि के रूप व किरदार अनूठे अंदाज में दिखाये। कार्यशाला के चौथे व पांचवे दिन शनिवार व रविवार को देश के कोने-कोने से आये 55 बहुरूपी कलाकार शाम 6.30 बजे से प्रसिद्ध फतहसागर की पाल पर रोड शो करेंगे व अपनी कला का प्रदर्शन कर लोगों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उन्हें अपनी अनूठी कला से रूबरू करवाएंगे।