नगर निगम की विधि समिति की बैठक
रियायती दरों वाली जमीनों के व्यावसायिक उपयोग पर होगी कार्रवाई
उदयपुर। पहले गांव बसता है फिर वहां की आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के बारे में विकास योजनाएं बनती है आदि आदि लेकिन निगम की विधि समिति की बैठक में यह कहते हुए अधिवक्ताओं की नियुक्ति कर दी गई कि आने वाले समय में निगम का क्षेत्राधिकार बढे़गा और प्रन्यास व आवासन मंडल की पत्रावलियां भी आएंगी जिनके लिए अधिवक्ता आवश्यक है।
निगम सभागार में सोमवार को विधि समिति की हुई बैठक में सदस्य वंदना पोरवाल ने निगम में अधिवक्ताओं की नियुक्ति हेतु आए प्रार्थना-पत्रों का प्रस्ताव रखा जिस पर बताया गया कि निगम में प्रन्यास और राजस्थान आवासन मण्डल की पत्रावलियां हस्तांतरित होने व आने वले दिनों में निगम के क्षेत्राधिकार में बढ़ोतरी होने से अधिवक्ता की नियुक्ति आवश्यक है। गत दिनों एक अधिवक्ता को हटाया गया था जिससे उसका स्थान रिक्त है। नए अधिवक्ता की नियुक्ति से निगम पर कोई वित्ती य भार नहीं बढ़ेगा। आवेदनों पर चर्चा करते हुए उदयपुर न्यायालयों में पैरवी हेतु महेन्द्र ओझा एवं राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर खण्डपीठ में दीपक मेनारिया की नियुक्ति कर सर्वसम्मति से नियमानुसार आगे की कार्यवाही हेतु रखा गया।
सदस्यों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर सामाजिक कार्यों हेतु निगम व नगर विकास प्रन्यास द्वारा आवंटित ऐसे भूखण्ड/जमीनें जो नगर निगम क्षेत्र में है एवं निगम को नगर विकास प्रन्यास द्वारा हस्तांतरित हो चुकी है। ऐसी जमीनें जिनको निशुल्क या रियायती दरों पर शर्तों पर आवंटन किया गया है एवं उन जमीनों का सामाजिक कार्यों या जनहितार्थ उपयोग में आवंटन शर्तों के विपरीत जाकर उन जमीनों/भूखण्डों का व्याावसायिक उपयोग कर रहे है, उनको चिह्नित कर खाली करने के लिये कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही जिन भूखण्डों की लीज अवधि समाप्त हो चुकी है उनको भी पुनः निगम लेने की कार्यवाही करेगा।