उदयपुर। हिरणमगरी से. 11 स्थित आदिनाथ भवन में वैज्ञानिक धर्माचार्य आचार्य कनकनन्दी ने चातुर्मासिक धर्मसभा में ब्रह्माण्ड विज्ञान की समन्वयक पद्धति से रोचक व्याख्या की। आचार्य ने कहा कि आधुनिक ब्रह्माण्डीय विज्ञान से परे जैन आगम में वर्णित ब्रह्माण्ड विज्ञान की
समन्वयात्मक पद्धति सर्वजनग्राही होने के साथ-साथ सर्वजनहिताय है। उन्होंने कहा कि आगम की भाषा गणितीय वैज्ञानिक होने से सर्व सामान्य जन इसे आसानी से समझ नहीं पाते हैं। आचार्य ने धर्मसभा में आधुनिक विज्ञान की सर्वशाखाओं से लेकर धर्म-दर्शन, अध्यात्म विज्ञान की बहुआयामी संयोजना की खूबसूरत प्रस्तुति दी।
मनुष्य में बुद्धि, सदबुद्धि का अभाव
उदयपुर। आत्मरति विजय ने कहा कि मनुष्य बुद्धिमान तो है लेकिन उसमें सदबुद्धि का अभाव है। जिनवाणी का पालन करने वाला ही सुश्रावक बनने का अधिकारी होता है।
वे आज श्री जैन श्वे ताम्बर मूर्तिपूजक संघ जिनालय द्वारा शांतिनाथ आराधना भवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नाम का दान करने वाले को दान पुण्य का फल नहीं मिलता। दान देने वाले की शुद्ध एवं सात्विक भावना ही फलदायी होती है। हितरति विजय ने कहा कि शरीर की ओर ध्यान देने की अपेक्षा आत्म कल्याण हेतु किया जाने वाला कार्य ही मोक्ष की ओर ले जाता है। जिनवाणी की शुद्ध अन्त:करण से पालन करना ही धर्म है। संघ अध्यक्ष सुशील बांठिया ने यह जानकारी दी।
कपट व चालाकी से खोया अपनों का विश्वास : कुमुद
श्रमण संघीय महामंत्री श्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि आज के मानस में अप्रत्यक्ष रूप से एक ग्रंथि बनती जा रही है कि इस युग में जो व्यक्ति जितना अधिक चालाक और तेज तर्रार होगा, वह व्यक्ति उतना ही अधिक सफल होगा। सफलता कि यह परिभाषा प्रत्यक्षत: तो सामने नहीं आती किन्तु मानस में अपना स्थान बनोय रहती है।
वे धर्मसभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होनें कहा कि इस परिभाषा के समर्थन में अनेक उदाहरण व्यक्ति अपने पास इकठ्ठे किये रहता है। कभी कभी अपनी तरह के व्यक्तियो में वे उदाहरण प्रयुक्त भी किये जाते हैं चालाकी और कपट के इस व्यापक समर्थन से आज स्थिति ऐसी आ गई है कि कोई किसी पर विश्वास करने तक को तैयार नही है। संघ के अध्यक्ष वीरेन्द्र डांगी ने बताया कि आज से प्रारम्भ हुए त्रिदिवसीय स्वाध्याय शिविर की शुरूआत मंगलाचरण के साथ हुई। शिविर में सौ शिविरार्थी भाग ले रहे है।