उदयपुर। श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि मन को सही दिशा में प्रेरित करने के लिए सबसे सरल और सात्विक साधन है स्वाध्याय, स्वाध्याय करने का अभ्यास रखिये। स्वाध्याय करते हुए आपको स्वत: अनुभव होगा कि आपका मन उसमें रमने लगा है।
मन स्वाध्याय में तल्लिन हो जायेगा तो फिर अन्य बातो कि तरफ आपका कोई ध्यान नही जायेगा। वे आज पंचायती नोहरे में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होनें कहा कि अपने पास मन शक्ति विद्यमान हैं। यह बहुत सौभाग्य कि बात हैं जिसका पुण्य प्रबल होता है, उसे ही मन शक्ति उपलब्ध होती है और यह हमें उपलब्ध है। जीवन में मन की शक्ति एक अपार शक्तिशाली तत्व है। एक क्षण में कही से कही पहुंच जाता है। जीवन को संचालित करने में मन ही मुख्य है। मानव के चरित्र का निर्माता मन ही है। अत: प्रत्येक बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिये कि वह अपने मन को इस तरह सिद्ध करे कि वह आपको मानव से महामानव बना दें।
प्रत्येक जीव में परमात्मा बनने की शक्ति
प्रत्येक जीव में सुप्त रूप से महान बनने की अथवा आध्यात्मिक दृष्टि से परमात्मा बनने की शक्ति विद्यमान हैं। लेकिन आवश्यकता है उसे पुरूषार्थ से अभिव्यक्त करने की। उक्त विचार वैज्ञानिक धर्माचार्य श्री कनकनन्दी गुरूदेव ने आदिनाथ भवन सेक्टर 11 में आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में उपस्थित श्रावकों के समक्ष कार्तिकेयानु प्रेक्षाग्रन्थ से द्रव्य गुण पर्यायों की व्यापकता व सम्भावना बताते हुए व्यक्त किये।
आचार्यश्री ने कहा कि इस शक्ति को प्राप्त करने के लिए तीर्थंकर, बुद्ध, ऋषि- मुनि तप साधना द्वारा स्वात्मोपलब्धि करके अनन्त दर्शन ज्ञान, सुख वीर्य प्रकट करके शाश्वत सुख प्राप्त करते हैं। इस गूढ़ विषय को गुरूदेव ने वट वृक्ष के दृष्ठान्त से भी समझाया। जैसे छोटे से वट बीज में हजारों लाखों टन के वट वृक्ष बन जाने की शक्ति गुप्त रूप से विद्यमान रहती है। वही बीज योग्य जल, वायु, मृदा, प्रकाश व योग्य भूमि को प्राप्त कर स्वयं की सुप्त शक्ति को विशाल वट वृक्ष के रूप में अभिव्यक्त करता है। आचार्यश्री ने कहा कि इसी भांति भौतिक द्रव्यों की शक्ति को हम आधुनिक विज्ञान के विकास के रूप में देखते हैं, जिससे सारा विश्व चमकृत हो रहा है। इससे पूर्व धर्मसभा को मुनि आध्यात्मनन्दी ने भी सम्बोधित किया।