ज्ञानशाला दिवस पर तेरापंथी सभा के हुए आयोजन
उदयपुर। बच्चों के भीतर 5 से 7 वर्ष की उम्र में शक्तियां जागृत होने लगती हैं और 7 से 14 वर्ष तक तेजस केन्द्र जागृत होता है। इन शक्तियों को यदि सही दिशा में मोड़ दिया जाए तो ये बच्चों के अच्छे भविष्य का निर्माण करती हैं अन्यथा भटकने पर बालक भी भटक जाता है।
ये विचार तेरापंथी सभा की बहुश्रुत परिषद की सदस्या साध्वी कनकश्रीजी ने व्यक्त किए। वे जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से आयोजित ज्ञानशाला दिवस पर श्रावकों को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि लर्निंग टू नॉलेज, लर्निंग टू डू, लर्निंग टू लीव टूगेदर, लर्निंग टू लिविंग के द्वारा बच्चों में अनुशासन, विवेक, समझदारी, जप, संत दर्शन, स्वाध्याय आदि गुणों को विकसित करने की प्रेरणा दी।
इससे पूर्व ज्ञानशाला निदेशक फतहलाल जैन के निर्देशन में संस्कार रैली निकाली गई। साध्वी मधुलता ने प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि नमस्कार महामंत्र का सालाना सवा करोड़ जप करने से तीर्थंकर नाम गोत्र का बंध होता है।
तेरापंथी सभा के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि शहर के चल रहे विभिन्न छह सेंटरों में भूपालपुरा ज्ञानशाला केन्द्र को सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया। इसके अतिरिक्त सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षिका लक्ष्मी कोठारी, श्रेष्ठ ज्ञानार्थी-2013 जया फत्तावत, प्रेक्षा बोहरा, रिषिका इंटोदिया, विदुषी धाकड़, रिचा कच्छारा और मनन करमालिया को पुरस्कृत किया गया। ज्ञानशाला प्रशिक्षक परीक्षा 2013 में उत्तीर्ण नौ बहिनों को प्रमाणपत्र एवं पारितोषिक प्रदान किए गए।
इससे पूर्व मंगलाचरण ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने किया। ज्ञानशाला एक की बच्चों हो जाओ तैयार, दो की घर घर जागे सद्संस्कार, तीन की ज्ञानशाला संस्कार निर्माणशाला नाटिका, चार की तुलसी अष्टकम्, पांच की ऐसा संघ है मेरा तथा ज्ञानशाला नं. छह की प्रस्तुतियां आकर्षक बन पड़ीं।
छह प्रशिक्षिकाओं को विशेष योग्यता का पारितोषिक प्रदान किया गया। इनमें मीना नांदरेचा, अंतिमा सिंघवी, पुष्पा नांदरेचा, विशादर, हेमलता इंद्रावत, प्रियंका इन्द्रावत, बसंत कठालिया, तारा कच्छारा, स्नातक चंद्रावती परमार, संध्या जैन शामिल थीं। कार्यक्रम का सफल संचालन मुख्य प्रशिक्षिक संगीता पोरवाल ने किया।