14वीं आल इण्डिया सीनियर सिटीजन कान्फेडरेशन (एसकॉन) का शुभारम्भ
उदयपुर। जलदाय मंत्री किरण माहेश्वरी ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के हितार्थ आने वाली समस्याओं एवं सुझावों को सूचीबद्ध कर प्रस्ताव बनाकर देने के निर्देश दिए जिसमें सरकार की अफोर्डेबल हाउसिंग योजना में वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी अपने स्तर पर अलग से कोटा निर्धारित करने के प्रयास किये जाऐंगे।
वे आज महाराणा प्रताप वरिष्ठ नागरिक संस्थान द्वारा मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के विवेकानन्द सभागार में शनिवार को आयोजित दो दिवसीय 14वीं आल इण्डिया सीनियर सिटीजन कान्फेडरेशन (एसकॉन) राष्टीय कान्फ्रेंस में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि देश के 70 प्रतिशत से ज्यादा गावों में रहने वाले लोग आज भी वहंा सभ्यता, संस्कृति को जीवित रखे हुए हैं। जहां आज भी वे संयुक्त परिवार में रहकर अपने माता-पिता की सेवा करते हैं, लेकिन दूसरी ओर शहरी क्षेत्र में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद अपने सामाजिक बदलाव के चलते वृद्ध माता-पिता को साथ रखने मे संकोच करते हैं।
सेमीनार में सांसद अर्जुन मीणा ने कहा कि वरिष्ठजनों द्वारा जिस तरह अलग मंत्रालय की मांग की जा रही है, जिसकी आज के समय में वास्तविकता में जरूरत भी है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठजनों के लिए सरकार द्वारा रेल्वे, बस, पेंशन और कई योजनाएं हैं और इसके अलावा भी सेमीनार से जो निचोड़ निकलकर आएगा और जो भी मांगें होगी, उनको सरकार के पास प्रमुखता से पहुंचाया जाएगा।
सेमीनार के मुख्य वक्ता न्यायमूर्ति एन.के.जैन ने कहा कि आज के परिप्रेक्ष्य में अगर देखा जाये तो बुजुर्गों के लिए 60 से 70 वर्ष की उम्र में काफी समस्याएं पैदा हो जाती है चाहे वो पारिवारिक रूप से हो, आर्थिक रूप से हो या चाहे रहने, खाने की समस्या हो, ऐसे में वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली नाम मात्र की पेंशन से उनका गुजारा असम्भव है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पहले पेंशन देकर उस पेंशन पर कर लगाकर फिर से वसूल करना बिल्कुल न्यायसंगत नही है। इस मुद्दे पर हमें गंभीरता से सोचने की जरूरत है। साथ ही 125 सीआरपीसी के तहत केवल बच्चों से माता-पिता को भरण पोषण का हक है।
इस एक्ट में बदलाव करके जिस तरह लावारिस प्रोपर्टी पर कब्जा सरकार द्वारा किया जाता है उसी तरह वृद्ध जनों को देने के मामले में भी केन्द्र व राज्य सरकार को एक जैसी नीति अपनानी चाहिये।
सेमीनार का आयोजन कर रहे महाराणा प्रताप वरिष्ठ नागरिक संस्थान, उदयपुर के महासचिव भंवर सेठ ने उद्बोधन में कहा कि सरकार ने अनेक योजनाएं तो लागू कर दी लेकिन वरिष्ठ जनों को अभी भी अपनी समस्याओं के लिए विभागों के चक्कर काटने पड़ते है ओर धक्के खाने पड़ते है। पूर्व में मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने भी संदेश भेजा की सरकार वृद्धजन आयोग का गठन करेगी लेकिन वो मामला आज भी लम्बित है। अभी तक पूरे भारत में 12 करोड़ वरिष्ठ नागरिक है जिसमे से 4 करोड़ जो बीपीएल सीमा से नीचे हे उनकी देखभाल की जिम्मेदारी सम्पूर्ण वरिष्ठजनों की है। उन्होंने कहा कि कानून तो बन गया लेकिन उसके क्रियान्वयन का पक्ष अभी तक कमजोर है आने वाले समय में 2050 तक वरिष्ठजनों की जनसंख्या 32 करोड़ तक पहुंच जाएगी ओर तब वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं को लेकर स्थितियां और भी गंभीर हो जाएगी जिसके लिए हमें अभी से तैयार होने की जरूरत है।
सेमीनार के प्रथम दिन की अध्यक्षता डीएन चापके ने की, वहीं अतिथियों के रूप मे (एसकॉन) के महासचिव अनिल खशकेडिकर, राजस्थान संघ के अध्यक्ष किशोर जैन, पदम्श्री कैलाश मानव, हेल्पेज इण्डिया के निलेश नलवाया, नेपाल से डॉ. गौरीशंकर लाल दास, उद्योगपति मांगीलाल लूणावत, केएस मोगरा आदि भी मौजूद थे। सेमीनार के दौरान महाराणा प्रताप वरिष्ठ नागरिक संस्थान की वार्षिक पुस्तिका का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया और गुजरात से आये वरिष्ठजन गफफूर भाई बिलाकिया को भी सम्मानित किया गया। सेमीनार का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा भगवान श्रीगणेश की तस्वीर के समक्ष माल्यापर्ण ओर दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ।
पहले दिन दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें प्रथम सत्र में गफूर भाई बिलाकिया की अध्यक्षता व डॉ. टीएम दक के नेतृत्व में केन्द्र एवं राज्य सरकार की वरिष्ठ जनों के हितार्थ नीतियों पर विचार विमर्श हुआ। दूसरे सत्र मे आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल डॉ. डीपी सिंह की अध्यक्षता एवं प्रो. निर्मल कुमार गुरबानी के नेतृत्व में वरिष्ठजनों की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में बदलाव कर उनको वरिष्ठजनों के अनुरूप बनाने पर विचार विमर्श हुआ।