उदयपुर। अगर आप एक वृक्ष को बचाना चाहते हैं तो आपके पास गोबर के कंडे, अपने आस-पास का कूड़ा-करकट से ले कर लोह-स्तम्भ तक विकल्प मौजूद हैं। जिस प्रकार से हम प्राकृतिक रंगों से बनी हर्बल गुलाल प्रयोग कर अपने स्वास्थ्य की रक्षा करना चाहते है उसी प्रकार पर्यावरण की सुरक्षा करना भी हमारा कर्तव्य है।
ये विचार सोसायटी फॉर माइक्रोवायटा रिसर्च एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. एसके वर्मा ने सोसाइटी की कार्यकारिणी बैठक में प्रकट किये. उन्होंने कहा कि होलिका दहन के लिए यदि हम इको-फ्रेंडली विकल्प प्रयोग करते है तो स्वछता अभियान के साथ ही हम सेमल जैसे महत्त्वपूर्ण वृक्ष को बचाने में भी अपना योगदान करेंगे.
सोसायटी सचिव डॉ. वर्तिका जैन ने बताया कि सेमल सरंक्षण अभियान के तहत सोसायटी गत 4 वर्षों से होलिका-दहन के लिए लौह स्तम्भ का प्रयोग कर रही है और हर वर्ष पर्यावरण के प्रति संवेदी और जागरूक नागरिक उदयपुर शहर में इस अभिनव प्रयोग को स्वीकार कर अपने क्षेत्र में इसे कार्यान्वित कर रहे हैं. इस वर्ष सोसायटी अपनी ओर से लौह स्तम्भ भी उचित दरों पर उपलब्ध कराने को प्रयासरत है।
संयुक्त सचिव गिरधारी लाल सोनी ने कहा कि सेमल और ऐसे ही महत्त्वपूर्ण औषधीय वृक्षों को बचाने के लिए हमें ये पर्यावरण-सरंक्षि विकल्प अपनाने ही होंगे। बैठक में इस वर्ष भी उदयपुर में जय लक्ष्मी सोसाइटी, न्यू भूपालपुरा, पत्रकार कॉलोनी, चित्रकूट नगर, रामसिंह जी की बाड़ी, सेक्टर १३, ठोकर चौराहा और भिंडर व् कानोड़ में लोह-स्तम्भ होली मनाने का निर्णय लिया गया. सभी सदस्यों ने अपने क्षेत्रों में इस सन्देश को आगे बढ़ाने, जन-साधारण को प्रेरित करने और इसे कार्यान्वित करने का संकल्प लिया। धन्यवाद ओंकारलाल शर्मा ने दिया।