कवि सम्मेलन में हास्य, श्रृंगार, वीर रस ने बांधा समां
..न जाने कब कहां आपकी बकरीद हो जाए
उदयपुर। उदयपुर होलसेल गोल्ड ज्वैलर्स एसोसिएशन की ओर से भारतीय लोककला मण्डल में आयेाजित कवि सम्मेलन में जहां श्रृगांर रस में कवियित्री ने होली पर्व को लेकर गीतों में समां बांधा वहीं, हास्य एंव वीर रस ने श्रोताओं में जोश भर कर हास्य से सराबोर कर दिया।
कवि सम्मेलन में मुंबई के लाफ्टर चैम्पियन सुरेश अलबेला ‘अशफाक उल्लाह खां की कोई मुस्लिम बात नहीं करते, बिस्मिल शेखर और सुभाष का हिन्दु याद नहीं करते, हसंते-हंसते जो फांसी वाले तख्तों पर झूल गए, हनी सिंह तो याद रहा पर भगतसिंह को भूल गए..’, अलवर से वीर रस के कवि विनीत चौहान ने जब ‘तुमको भी मुफ्ती जी इसका सचमुच ध्यान रहा होगा, अगर तुम्हारा बेटा सीमा पर कुर्बान हुआ होता..’, प्रस्तुत की तो जनता की तालियों की भरपूर दाद मिली। नई दिल्ली से आयी श्रृंगार रस की कवियित्री शालिनी सरगम ने कहा कि ‘किसी के रूप का जब तक कोई कायल नहीं होता, ना सहता तीर नजरों के कभी घायल नहीं होता,,जूनूने इश्क हो चाहे वतन की बात क्यों ना हो मोहब्बत जो नहीं करता कभी पागल नहीं होता..’।
मंदसौर से वीर रस के सुरेश बैरागी ने जब वीर रस में ‘एक सुखी रोटी की खातिर कर्ज चुकाना पड़ता है, सारी रात जाग कुत्ते को फर्ज निभाना पड़ता है, बेटे की मुफलिसी जहंा में नहीं उजागर होने दी, खुश रह कर बूढ़ी अम्मा को र्म छुपाना पड़ता है..’, बदनावर से हास्य कवि राकेश शर्मा ने ‘वक्त की रफ्तार कौन कर पाया है गिरफ्तार, वक्त की रफ्तार को कौन रोक पाया है, कौन रोक पाएगा, वक्त जिदंगी ले कर आया है, वक्त मौत दे कर जायेगा..’, नागदा के कमलेश दवे सहज ‘दूर रहो पर दूरी न लगे, पास रहा तो मजबूरी न लगे, रिश्तों में प्रेम का रंग भरो, जीवन की कोर्ठ खुशी अधूरी न लगे…’, शाजापुर के फिल्मी पैरोडी करने वाले दिनेश देसी घी, आगरा के रमेश मुस्कान ने कहा कि ‘किसी कमनीय कन्या का कहंी जो दीद हो जाएं, संभव है नहीं उस पल सभी की ईद हो जाएं, छुरा ले कर सडक़ों पर निकलती छोरियंा अब तो, न जानें कब कहां आपकी बकरीद हो जाएं..’ प्रस्तुत की, तो हंसी के फव्वारे दूट गये। शिरकत ने शिरकत की। सूत्रधार उदयपुर के राव अजातशत्रु ने होली गीत प्रस्तुत करते हुए कहा ‘ चूम लूं रंग से मैं तेरे गाल को,छू के देखूं जरा रेशमी बाल को, ये कलाई तेरी डाल कचनार की, खिल कंचन कमल से कुंवारे नयन….’ प्रस्तुत की तो श्रोता उसी में सराबोर हो गये।
एसोसिएशन के संरक्षक यशवंत आंचलिया ने बताया कि कवि सम्मेलन में पहली बार संभाग के ख्यातनाम 12 ज्वैलर्स कारोबारी फर्मो अलंकार ज्वैलर्स, सुंदर ज्वैलर्स, भंवरलाल मदनलाल सिंघवी, गोल्डन ज्वैलर्स, कोहिनूर ज्वैलर्स, स्वर्ण लेक ज्वैलर्स, भारतीय ज्वैलर्स, महावीर गोल्ड पैलेस, सिल्वर पैलेस, ताराचंद भगवानदास नाचानी, अरिहंत बुलियन, स्वस्तिक गोल्ड को प्राईड ऑफ ज्वैलर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप अतिथियों मुख्य अतिथि मुंबई के स्वर्ण कारोबारी सुशील डी. पोरवाल तथा विशिष्ट अतिथि महापौर चन्द्रसिंह कोठारी, महावीर युवा मंच संस्थान के मुख्य संरक्षक राजकुमार फत्तावत,सेाजतिया ज्वैलर्स के महेन्द्र सोजतिया ने इन्हें उपरना, पगड़ी, शॉल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। कवि सम्मेलन के मुख्य प्रायोजक सोजतिया ज्वैलर्स थे। कार्यक्रम का संचालन शकुन्तला सरूपरिया ने किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण नवलखा, कार्यक्रम संयोजक महावीर सिंघटवाडिय़ा ने बताया कि वर्ष 2000 में मात्र 11 सदस्यों से स्थापित इस एसोसिएशन में वर्तमान में करीब सौ से अधिक सदस्य हैं। प्रारम्भ में एसोसिएशन के पदाधिकारियोंं ने अतिथियों एंव कवियों का उपरना,शॉल एंव पगड़ी से स्वागत किया।