राजस्थान विद्यापीठ में नीड बेस्ड रिफ्रेशर कोर्स प्रारंभ
उदयपुर। हमें सबसे पहले शिक्षा के मानकों को निर्धारित करना होगा तभी हम क्वालिटी एज्युकेशन के कंसेप्ट को लागू कर पाएंगे। वर्तमान में हमारे पास शिक्षा व्यवस्था को लेकर किसी तरह का आधार नहीं है। यही कारण है कि वर्तमान में दुनिया की शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में देश का प्रतिनिधित्व नहीं है।
यह कहना है कि कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत का। अवसर था मंगलवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय में यूजीसी रिफ्रेशर कोर्स जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के अकेडमिक स्टॉफ कॉलेज द्वारा आयोजित 21 दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स के शुभारंभ का। उन्होंने उच्च शिक्षा व्यवस्था में शोध कामों की कमी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद शिक्षक अपना दायित्व पूरा समझ लेते हैं जबकि विदेशों में पढने एवं पढ़ाने की प्रवृत्ति कभी खत्म नहीं होती। विशिष्टं अतिथि रजिस्ट्रार प्रो. सीपी अग्रवाल ने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था तकनीकी आधारों से बहुत दूर ।है इसके लिए जरूरी है कि हमें टेक्नोफ्रेंडली होना होगा तथा शिक्षा में नवीनतम अनुसंधान एवं शोध के साथ साथ नवाचारी प्रयोग योजना बनाना भी जरूरी हो गया है। स्वागत उद्बोधन देते हुए कोर्स प्रभारी प्रो. प्रदीप पंजाबी ने कहा कि यह कोर्स 26 मई से 14 जून तक चलेगा जिसमें इन्दौर, अहमदाबाद, मुम्बई, नई दिल्ली, जयपुर, बनारस सहित अन्य विश्वविद्यालयों के विषय विशेषज्ञ व्याख्यान देंगे। संचालन डॉ. धीरज जोशी ने दिया।
हरित क्रांति जरूरी : प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि शिक्षा, शोध के साथ साथ हमें पर्यावरण संरक्षण की ओर भी ध्यान देना होगा। हरित आर्थिक विकास मॉडल पर्यावरण संरक्षण के साथ विकास को गति देगा। यह मॉडल वर्षा जल संरक्षण, पशुपालन, जैविक खेती, लघु उद्योग व एग्रोबेस इंडस्ट्रीज की वकालात करता है। शिक्षक समाज सुधार के रूप में अपनी भूमिका केा निर्धारित कर सांस्कृतिक विभिन्नताओं को स्वीकार करके पर्यावरणीय जागरूकता को प्रभावी बना सकता है।