महाप्रज्ञ विहार में तेरापंथी सभा का स्वच्छ, स्वस्थ एवं सशक्त भारत विषयक बुद्धिजीवी सम्मेलन
उदयपुर। अगर हम देश को सशक्त बनाना चाहते हैं तो इससे पहले स्वस्थ और उससे भी पहले स्वच्छ बनाना होगा। इसकी शुरूआत स्वयं से करनी होगी। यदि व्यक्ति स्वस्थ होगा तो स्वच्छता और सशक्तता स्वत: आ जाएगी। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। बीमारियां, रोजगार आदि सभी इससे प्रभावित होते हैं।
ये तथ्य रविवार को महाप्रज्ञ विहार में रविवार को श्री तेरापंथी सभा की ओर से स्वच्छ, स्वस्थ एवं सशक्त भारत विषयक बुद्धिजीवी सम्मेलन में विभिन्न विषय विशेषज्ञों ने व्यक्त किए। मुख्य अतिथि संभागीय आयुक्त भवानीसिंह देथा थे। विशिष्ट अतिथि टेक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्याम एस. सिंघवी एवं जीबीएच अमेरिकल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. कीर्ति जैन थे। अध्यक्षता राजस्थान विद्यापीठ विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत थे।
शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने कहा कि स्वच्छता को धर्म समझकर काम करें, कानून नहीं। अनिवार्य है यह समझकर नहीं बल्कि अंत: प्रेरणा से काम करें। जहां मानसिक स्पष्टता होगी वहां भार नहीं होगा। कर्तव्य पालन के प्रति जागरूकता होगी। शारीरिक के साथ मानसिक स्वच्छता पर भी ध्यान दें। साधु संतों का काम है मानसिक रूप से स्वस्थ बनाना।
मुख्य अतिथि के रूप में संभागीय आयुक्त भवानीसिंह देथा ने बताया कि हम अपने देश को वर्षों से विकसित बनाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन अब तक विकासशील ही हैं। विदेशों में छोटे से छोटे गांव और शहर में कोई अंतर नजर नहीं आता। वहां समरसता का भाव है। हम जब वहां जाते हैं तो वहां के अनुरूप ही हो जाते हैं, ऐसा क्यों? सिर्फ मानसिकता का फर्क है। सब कुछ प्रषासन के हाथ में कुछ नहीं होता। भारत वर्षों से योग गुरु रहा है। पहले हम स्कूल से आते ही बाहर खेलने-कूदने जाते थे। आज कितने बच्चे बाहर खेलने जाते हैं। तकनीक के इस दौर में इसका दुरुपयोग भी हो रहा है जो रुकना चाहिए। घूमना, उच्छृंखलता, चंचलता की बच्चों में कमी हो गई है। सभी के समन्वित प्रयासों से ही सशक्त भारत का सपना संभव हो पाएगा।
अध्यक्षता करते हुए राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा कि भारत ने हमें गिनना सिखाया। स्वतंत्रता की 68 वीं वर्षगांठ पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री को स्वच्छता का आग्रह करना हमारे स्वयं के लिए विचारणीय है। जो काम सबसे पहले होना चाहिए, वह हम अब कर रहे हैं। हम पर्यावरण को जानते-बूझते प्रदूषित कर रहे हैं। मानवता पर कुठाराघात कर रहे हैं। विकास के लिए हमें शांति लानी होगी। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। स्वस्थता के लिए स्वच्छता आवश्यक है तभी हम सशक्त भारत का निर्माण कर सकेंगे।
विशिष्ट अतिथि टेक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्याम एस सिंघवी ने कहा कि आचार-विचार और आहार-विहार से हम हर तरह की स्वस्थता प्राप्त कर सकते हैं। आचार-विचार से मानसिक और आहार-विहार से शारीरिक स्वस्थता आती है। हमें अपने आंतरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा। स्वयं सुधरेंगे तो समाज और देश सुधरेगा। स्वच्छता समग्र मानव समाज के लिए अपेक्षित है। यह जबरन किसी पर थोपा नहीं जा सकता बल्कि खुद को रोल मॉडल बनना होगा। अगर कोई फेंकता है तो आप उसे उठाकर फेंक दीजिए।
सम्मेलन के मुख्य संयोजक आयकर आयुक्त बीपी जैन ने कहा कि विदेशों में 95 प्रतिशत जनता करती है और 5 प्रतिशत सरकार के भरोसे होता है। हमारे यहां 95 प्रतिशत सरकार के भरोसे और 5 प्रतिषत खुद करते हैं। हम क्या करें? हम टोकना सीखें। बाजार में कोई भी सडक़ पर कुछ फेंकता है तो उसे टोकें। आसपास और आपस में डिसकस कर इसे हल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में हुई चर्चा का मसौदा बुद्धिजीवियों को भेजा जाएगा जो कहीं काम आ सके।
जीबीएच अमेरिकन के निदेशक डॉ. कीर्ति जैन ने कहा कि प्रत्येक बच्चा, व्यक्ति, महिला अगर सषक्त होगा तो ही भारत सशक्त होगा। इसके लिए आवश्यक है स्वास्थ्य। स्वास्थ्य के लिए जरूरी है स्वच्छता। निर्बल व्यक्ति कभी सषक्त नहीं हो सकता। शरीर से ही धर्म की साधना हो सकती है। स्वच्छता देवत्व के समान है। सभ्यता वो दूरी है जो व्यक्ति अपने मल-मूत्र से रखता है। अपने हाथ और गंदा पानी बीमारियों के सबसे बड़े दोशी हैं। स्वच्छ से ही स्वस्थ और फिर सशक्त हो सकते हैं। इसमें योगदान स्वयं से चालू करें।
मुनि सुधाकर ने कहा कि हमारे देश में ऋषि व कृषि दोनों ही संस्कृति पोषित हुई है। कृषि ने शरीर को तथा ऋषि ने आत्मा को पोषित किया। सुधरे व्यक्ति-सुधरे समाज का नारा आचार्य तुलसी ने दिया था। मन तभी स्वस्थ होगा जब शरीर स्वस्थ होगा। आज हर व्यक्ति पांच पी की अंधी दौड़ में है। पावर, पॉजीशन, प्लेजर, प्रोस्पेरिटी और प्रेस्टीज लेकिन इन पांच पी के साथ एक पी और जोड़ ले तो वह सफल हो जाएगा। वह पी है प्यॉरिटी यानी पवित्रता।
मुनि दीप कुमार ने कहा कि बुद्धिजीवी की क्या परिभाषा है। प्रसिद्ध विधिवेत्ता एलएम सिंघवी ने कहा कि बुद्धिजीवी वही है जो विनयजीवी है। हमने पहले भी कहा कि विद्या का तीसरा स्थान है। व्यक्ति में विवेक और विनय होना जरूरी है। इसके बाद विद्या का स्थान आता है। साक्षर व्यक्ति अपने पापों पर आवरण डालता है। साक्षर यदि दुर्बुद्धि है तो वह राक्षस के समान है। ऐसे सम्मेलन से हम सुमति का विकास करें।
संचालन करते हुए तेरापंथी सभा के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति देश निर्माण में अपना योगदान दे सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योग दिवस की महत्ता पूरे विष्व में सिद्ध की और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे दर्जा दिलाया। विश्व भी योग की महत्ता को मानने लगा है। इसी कड़ी में आज हमारा यह सम्मेलन प्रधानमंत्री के स्वच्छ, स्वस्थ और सशक्त भारत के नारे को कोई आयाम दिला पाए, ऐसी आकांक्षा है।
आरंभ में तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष अभिषेक पोखरना के नेतृत्व में बनाई गई समाज की बिजनेस डायरेक्ट्री सम्पर्क का विमोचन युवा उद्योगपति रोहित मोटावत, परिषद के पूर्व अध्यक्ष धीरेन्द्र मेहता, सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत एवं तेयुप मंत्री अजीत छाजेड़ ने किया। आभार सभा के मंत्री सूर्यप्रकाष मेहता ने जताया।