तेरापंथी सभा की ‘धर्म मुझे क्या देगा’ विषयक धर्मसभा
उदयपुर। मेवाड़ राजघराने का तेरापंथ समुदाय से वर्षों पुराना नाता रहा है। मेवाड़ का तो वीरता, त्याग और तपस्या का गौरवमयी इतिहास रहा है। धर्म हमें आत्म साक्षात्कार कराता है। स्वयं की पहचान कराता है। धर्म के माध्यम से विकास की असीम संभावनाएं हैं।
ये विचार मुनि राकेश कुमार ने व्यक्त किए। वे रविवार को तेरापंथी सभा की ओर से ‘धर्म मुझे क्या देगा’ विषयक आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर तेरापंथ प्रोफेषनल फोरम का शपथ ग्रहण समारोह भी हुआ। मुख्य अतिथि लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ थे। फोरम की नव मनोनीत कार्यकारिणी को उन्होंने शपथ दिलाई।
मुनि राकेश कुमार ने कहा कि जैन धर्म में कहा गया है कि व्यक्ति अपने भाग्य का स्वयं विधाता है। व्यक्ति का मस्तिष्क (ब्रेन) सुपर कम्प्यूटर है। इससे बड़ा दुनिया में कोई आविष्कार नहीं। कपड़े, मकान, कार, घर आदि को साधन मानकर काम करें साध्य नहीं। यदि यह ध्यान में रखकर काम किया तो जीवन सफल है। जीवन में तनाव, टेंशन, अशांति बढ़ रही है। आज के युग में मानव ने परिस्थितियों, भौतिक पदार्थों का दास मान लिया। भले ही कहने को नाम परमात्मा का लेता है लेकिन मन में यह कि मैं कर रहा हूं। यही दुखों का कारण है। आज के युग में पैसा ही न्याय, प्रेम हो गया है। धर्म में ध्यान लगाने से सम्यक दृष्टिकोण पैदा होता है। साधु अगर कहीं मांगने जाए तो सम्राट की तरह जाना चाहिए। साधु के पास पैसा हो तो वह कौड़ी का नहीं लेकिन अगर गृहस्थ के पास पैसा नहीं हो तो वह कौड़ी का नहीं। सफलता की लहर को पकड़ेंगे तो असफलता ज्यादा सताएगी। जो मिला है, उसमें संतुष्ट रहो, ईर्ष्या का भाव नहीं रखें। अति हर्ष या अति शोक के साथ कोई काम न करें।
मुनि सुधाकर ने कहा कि भगवान महावीर ने कहा है कि धर्म ही मंगल है। अहिंसा, संयम और तप ही सबसे बड़ा धर्म है। धर्म को खरीदकर नहीं लाया जा सकता। वह तो शरीर की त्वचा है जो हमेषा साथ रहता है। दुनिया मंे सिर्फ श्मषान ही ऐसा है जहां कोई समस्या नहीं है। जब तक जिंदा हैं, समस्याएं तो रहेंगी। धर्म तो शांति, मित्रता, करूणा, अपनत्व, सौहार्द, सामंजस्य का मंत्र सिखाता है।
मुनि दीप कुमार ने कहा कि धर्म हमें शांति, समस्या का समाधान सुझाता है। धर्म जीने की कला सिखाएगा। जब तक धर्म मन में प्रवेष नहीं करेगा, उपर ही रहेगा तो वह किसी काम का नहीं है। मन में धर्म का प्रवेष जरूरी है।
मुख्य अतिथि लक्ष्यराजसिंह ने कहा कि आज यहां आकर पुराने रिश्तों की यादें ताजा हो गई। ऐसे इतिहास को काफी हद तक भुलाने का प्रयास किया जाता है लेकिन आपने उसे याद रखकर नए रिश्तों की बुनियाद रख दी, मैं स्वयं प्रफुल्लित हूं। नए जीवन में जब पैर रखते हैं तो बहुत अच्छा लगता है। दुनिया में आपको हुक्मीचंद, रायचंद, कर्मचंद, होषियारचंद मिलते हैं लेकिन इन सबके साथ इंसान बनना है, यह ध्यान रखें।
तेरापंथी सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि 207 वर्षों पूर्व तेरापंथ की स्थापना हुई। एक बार मेवाड़ से निष्कासित भी हुआ। आचार्य को वापस मान-मनुहार कर मेवाड़ में लाया गया। आजादी के बाद 1947 में अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात हुआ। गरीब की झोंपड़ी से राष्ट्रपति भवन तक अणुव्रत को पहुंचाने वाले गणाधिपति आचार्य तुलसी को महाराणा मेवाड़ फाउण्डेषन ने हकीम खां सूर अवार्ड से नवाजा। अवार्ड देने के लिए फाउण्डेषन के चेयरमैन मेवाड़ राजघराने के अरविंदसिंह मेवाड़ स्वयं लाडनूं पहुंचे और आचार्य तुलसी को अवार्ड प्रदान किया। 2007 में आचार्य महाप्रज्ञ के सान्निध्य में तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम की स्थापना की गई तब मुनि रजनीष कुमार के माध्यम से कपिल इंटोदिया को इसकी जिम्मेदारी दी गई। फोरम का कार्य षिक्षित वर्ग को जोड़ने के साथ आने वाली पीढ़ी को उचित मार्गदर्षन प्रदान करने, ब्रेन मेपिंग करना, शिक्षित वर्ग में उन्नयन, कैसे अधिक से अधिक समाज से जोड़ने पर ध्यान देना आदि है।
तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के नवमनोनीत अध्यक्ष बीपी जैन ने कहा कि फोरम समाज के प्रोफेषनल्स का एक मंच है जिसमें चिकित्सक, सीए, सीएस, प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं। हर्ष की बात यह कि फोरम की नींव उदयपुर में आचार्य महाप्रज्ञ के चातुर्मास के दौरान यहीं रखी गई। फोरम की ओर से मैं विष्वास दिलाता हूं कि यह मन, वचन, कर्मों से चरितार्थ करेगा। धार्मिकता और सामाजिकता को बनाए रखेंगे। सिविल सर्विसेज, कैरियर काउंसलिंग, तनावमुक्त, पर्यावरण शुद्धि पर काम करेंगे। उभरती प्रतिभाओं को मंच प्रदान करेंगे। कार्यकारिणी तो सिर्फ नामांकन है, सभी मेम्बर हैं और मिल-जुलकर काम करेंगे।
कार्यक्रम में फोरम के राष्ट्रीय गीत का विमोचन भी किया गया। संचालन मिनी सिंघवी ने किया। आभार फोरम के सचिव मुकेश बोहरा ने व्यक्त किया। आरंभ मुनि राकेष कुमार के नमस्कार महामंत्र से हुआ। कार्यक्रम में अठाई करने वाले मोहनलाल बम्ब एवं सूरजमल नागौरी का सम्मान किया गया।
देश की सर्वश्रेष्ठ 13 सभा में : तेरापंथी सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि देश भर में संचालित 650 तेरापंथी सभाओं में उदयपुर तेरापंथी सभा प्रथम 13 में शुमार हुई है। यह सभी के लिए गौरव की बात है। इनमें प्रथम, द्वितीय व तृतीय का निर्णय 15 अगस्त को होगा। उदयपुर के सभी श्रावकों के मनोबल और सहयोग के चलते ही यह संभव हो पाया।