1000 मोमबत्तियां बनाने का मिला ऑर्डर
उदयपुर। उदयपुर से 45 किलोमीटर दूर जावर की आदिवासी महिलाओं को हिन्दुस्तान जिंक ‘सखी परियोजना’ के अंतर्गत सुगन्धित मोमबत्तियां बनाने का कार्य सिखाया जा रहा है। करीब एक हजार मोमबत्तियों का ऑर्डर भी मिल गया है।
मोमबत्तियां बनाने की प्रक्रिया में सबसे पहले मोम के छोटे-छोटे टुकड़े करना, इण्डक्शान चूल्हे पर वांछित तापमान पर उबलना, मोमबत्ती के आकार के अनुरूप रंग एवं इत्र का प्रयोग करना और अंत में मोमबत्ती धागा रखकर सांचे में गर्म मोम डालने का कार्य इन ग्रामीण एवं आदिवासी महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। ये आदिवासी महिलाएं अपने नये विचारों से मोमबत्तियों में प्राकृतिक रंग के लिए हल्दी एवं करी पत्ती का प्रयोग कर रही है। इन महिलाएं द्वारा सीखने के पश्चात् बिक्री योग्य सुगन्धित मोमबत्तियां बना रही है।
कार्यशाला संचालक शिखा बम्ब ने बताया कि सबसे पहले 18 आदिवासी महिलाओं को एकत्रित करने में बहुत कठिनाई आई जो अलग-अलग स्थानों पर दूर-दूर तक रहती है जहां यातायात के साधन भी नहीं है। इसमें उन महिलाओं ने भाग लिया जो मोमबत्तियां बनाने में रूचि रखती है। शिखा ने बताया कि हिन्दुस्तान जिंक महिलाओं को जावर ‘सखी’ प्रशिक्षण केन्द्र पर आने-जाने के लिए यातायात साधन की व्यवस्था कर उनकी समस्या का समाधान किया।
हिन्दुस्तान ज़िक के हेड-कार्पोरेट कम्यूनिकेषन पवन कौशिक ने बताया कि ग्रामीण एवं आदिवासी महिलाओं द्वारा बनाई गई मोमबत्तियों की सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिल रही है। 1000 मोमबत्तियां बनाने का पहले ही ऑर्डर मिला चुका है तथा दीपावली पर और ऑर्डर मिलने की संभावना है। सबसे पहले लगभग 500 मोमबत्तियां बनाई गई जिनकी बिक्री भी हो गई है। अब इन महिलाओं को रोटरी मेवाड़ से 1.50 लाख रुपये की 500 मोमबत्तियां खरीदने का ऑर्डर भी मिला है। उन्होंने बताया कि सखियों को छोटी एवं बड़ी मोमबत्तियां खरीदने के लिए सदस्यों से मिल रहे हैं।
रोटरी मेवाड़ के हंसराज चौधरी ने ग्रामीण एवं आदिवासी महिलाओं द्वारा बनाई गई सुगन्धित मोमबत्तियों की सराहना की और 500 मोमबत्तियां खरीदने का ऑर्डर भी दिया। ‘सखी’ पुष्पा, संतोष, मधु, अनीता, गायत्री, सुगना एवं कई जो इस परियोजना से जुड़ी हुई है, तथा सुगन्धित मोमबत्तियां बनाने के कार्य से बहुत खुष है तथा सभी कुछ नया करने की इच्छा रखती हैं। महिलाओं ने कहा कि हमारे घरों के लिए भी सुगन्धित मोमबत्तियां बनाने जा रही हैं। कंपनी अपनी इकाईयों के आस-पास के क्षेत्रों में विषेष रूप से राजस्थान के जिलों में ग्रामीण एवं आदिवासी महिलाओं को सषक्तीकरण के लिए विषेष ध्यान दिया जाता है। हिन्दुस्तान जिं़क अपनी परियोजना ‘सखी’ के तहत मसाले बनाना, फैषनी कपड़े बनाने, घर साज-सज्जा के सामान, यूनीफार्म बनाना, पेपर-क्रॉफ्ट, चटाई बनाना, पापड़ बनाना तथा जूट के सामान बनाने के साथ विभिन्न समूहों को विकसित कर रहा है। परियोजना के माध्यम से उत्पादों की विपणन एवं बिक्री करना भी सुनिष्चित किया है। पवन कौषिक ने बताया कि इन उत्पादों का या तो कंपनी के कर्मचारियों द्वारा उपयोग किया जा रहा है और समुदाय से कन्फर्म ऑर्डर मिल रहे हैं।