भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन
udaipur. पेसिफिक इन्स्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट एण्ड टेक्नोलोजी एवं मोहनलाल सुखाडिया विश्व्विद्यालय के तत्वावधान में भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन पेसिफिक विश्वविद्यालय कैम्पस में हुआ।मुख्य अतिथि राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के रसायन विज्ञान के प्रो. आर. सी. व्यास ने कहा कि आने वाले समय में इन्फ्रास्ट्रक्चर की भूमिका सभी क्षेत्रों में अहम होगी।
भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण विकास की दर पिछड़ गई है और इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में अपार संभावनाएं मौजूद हैं। विशिष्ट अतिथि कोरपोरेट ट्रेनर हिमांशु बुच व मुख्य वक्ता गुजरात अम्बुजा सीमेन्ट के अधिकारी राहुल माथुर थे। पाहेर सचिव राहुल अग्रवाल ने ऐसे आयोजनों को विद्यार्थियों के लिए लाभदायक बताते हुए भविष्य में भी ऐसे आयोजन करने पर प्रतिबद्धता व्यक्त की। समारोह में पाहेर के रजिस्ट्रार शरद कोठारी भी उपस्थित थे।
मुख्य वक्ता राहुल माथुर ने इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में सीमेन्ट की भूमिका पर प्रकाश डाला। बढ़ते शहरीकरण के कारण इन्फ्रास्ट्रक्चर पर दबाव बढ़ता जा रहा है। मोहनलाल सुखाडि़या विश्वकविद्यालय से प्रो. करूणेश सक्सेना ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संगोष्ठीव के विषय पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी के दूसरे दिन दो तकनीकी सत्र हुए। पहला सत्र ऊर्जा की इन्फ्रास्ट्रक्चर में ‘‘बिजली व उर्जा की भूमिका‘‘ की अध्यक्षता पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम विश्वरविद्यालय, गांधीनगर, गुजरात के डीन प्रो. प्रमोद पालीवाल ने की। मुख्य वक्ता गुजरात सरकार के संदीप शर्मा, आईबीएम मुम्बई के जनरल मैनेजर विशाल मेहता एवं प्रो. करूणेश सक्सेना थे। द्वितीय सत्र ‘‘सामाजिक इन्फ्रास्ट्रक्चर‘‘ की अध्यक्षता वर्धमान महावीर खुला विश्व विद्यालय, कोटा के निदेशक प्रो. पी. के. शर्मा ने की। मुख्य वक्ता नई दिल्ली से प्रो. नरेश गिल व मोहनलाल सुखाडिया विश्वाविद्यालय से प्रो. वेणुगोपालन थे। पेसिफिक इन्स्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट एण्ड टेक्नोलोजी के निदेशक प्रो. के. के. दवे ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए संगोष्ठीन प्रमुख बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने संगोष्ठीय को भारत जैसे विकासशील देश के लिए उपयुक्त बताया। संचालन डा. सुभाष शर्मा व सेमिनार सेक्रेटरी डॉ. पल्लवी मेहता एवं तकनीकी सत्रों का संचालन डॉ.पूजा माथुर व प्रो.विवेक शर्मा ने किया। शोध-पत्रों को सम्बनन्धित महाविद्यालयों के पास भेजा जायेगा व इसकी शोधता पर आगे प्रयास किये जाते रहेंगे।