मासखमण की तपस्या करने पर सिंघवी का अभिनंदन
उदयपुर। तपस्या एक औषधि है जो न धरती से उत्पन्न होती है और न ही आकाश से टपकती है। तप का तेज दैनिक शक्ति को प्रतिहत कर देता है। विज्ञान भी इस बात को मानता है कि तप एक अद्वितीय संजीवनी है।
ये विचार साध्वी कीर्तिलता ठाणा-4 ने शुक्रवार को तेरापंथ भवन में रमेश सिंघवी के 31 उपवास की तपस्या के उपलक्ष्य में आयोजित अभिनंदन समारोह में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि तप से शरीर का काया कल्प होता है। रमेशजी युवक होते हुए भी इतनी लम्बी तपस्या की है, वे बधाई के पात्र हैं। युवा शक्ति को चुनौती देते हुए रमेशजी ने साबित किया है कि प्रत्येक व्यक्ति में अनंत शक्ति होती है। जरूरत उस शक्ति को पहचानने की है। तप में इतिहास बनाने वाले विरले होते हैं।
साध्वी शांतिलता ने कहा कि जैन धर्म की तपस्या शरीर को कष्ट देने के लिए नहीं होती, बल्कि शरीर को स्वस्थ रखने व विघ्न, बाधाओं को दूर करने के लिए होती है। साध्वी पूनमप्रभा ने संघ महानिदेशिका साध्वी प्रमुखा श्रीजी के संदेश का वाचन करते हुए तप की अनुमोदना में मुक्तक प्रस्तुत किए। साध्वी श्रेष्ठप्रभा ने संचालन करते हुए कहा कि तपस्या से आत्मा पर चिपके कर्म मल को दूर किया जा सकता है।
तेरापंथी सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने समस्त तेरापंथ समाज की ओर से तपस्वी के तप की अनुमोदना करते हुए कहा कि यह उदयपुर समाज के लिए गौरव की बात है। तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष राकेश नाहर ने कहा कि तपस्या से मानसिक और शारीरिक दोषों का नाश होता है। जिस समता और त्याग से तपस्या की है, वह निस्संदेह अनुकरणीय है।
महिला मंडल मंत्री लक्ष्मी कोठारी ने कहा कि तपस्वी ने अपने मासखमण की तपस्या साध्वी श्री कीर्तिलता को अर्पित की है। तप से कर्मों की निर्जरा होती है। सभी के लिए तप खुशियां लेकर आता है। समारोह में सिंघवी के परिजनों में धीरू, आशा दुग्गड़, रमेश सोनी, कांता एवं परिजनों ने सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की वहीं लक्ष्मणसिंह कर्णावट ने आशुकवि के रूप में अपनी रचना प्रस्तुत की। सवाईलाल पोखरना, बजरंग आदि ने भी विचार व्यक्त किए। रमेश सिंघवी के पिता कस्तूरचंद सिंघवी, बेटी निधि आदि ने अपने उपवास रमेशजी को भेंट किए। आरंभ में मंगलाचरण राकेश चपलोत एवं मुकेश ने किया। महावीर युवा मंच के अध्यक्ष मुकेश हिंगड़ ने मंच की ओर से सिंघवी को अभिनंदन पत्र भेंट किया। आभार सभा मंत्री राजेन्द्र बाबेल ने व्यक्त किया।