सीटीएई में आज की आवश्यकता – जैविक खेती पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ
उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संघटक प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय (सीटीएई में आज की आवश्यकता-जैविक खेती विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ महाविद्यालय के एवीपी हॉल में हुआ।
मुख्य अतिथि मुख्य अतिथि भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी ने जैविक खेती पर समग्र दृष्टि से विचार करने एवं समन्वित प्रयास आश्यकता जताई। उन्होंने देश सभी कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि अनुसंधान केन्द्रों के तहत जैविक कृषि को बढ़ावा देने पर सुझाव दिया।
विशिष्ट अतिथि व मुख्य वक्ता प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा अध्यक्ष पेसिफिक विश्वविद्यालय सारगर्भित व्याख्यान में रासायनिक उर्वरकों एवं खेती में कीटनाशी तथा अन्य रसायनिक विष के बहुतायत से हो रहे प्रयोग तथा उनसे होने वाली हानियों का उदाहरण देते हुए पारम्परिक व जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु गम्भीर प्रयास करने पर बल दिया। अध्यक्षता कर रहे राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रो. बी.एल. छीपा ने कहा कि हरित क्रान्ति तथा अधिक उत्पादन के चलते मृदा की गुणवत्ता निरन्तर घटी है । उन्होनें जैविक खेती को अपनाने का सुझाव देते हुए कहा कि इससे खेती में लागत घटेगी और शुद्व आय में दोगुना से अधिक इजाफा होगा।
विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय किसान संघ के मंत्री मोहनी मोहन मिश्रा ने खेती की दुर्दशा पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता जताई एवं खेत में उपजाउ मिट्टी शुद्ध पानी, शुद्ध जैविक खाद और प्रदूषण मुक्त वातावरण तैयार करने का सुझाव दिया जिससे खेत एवं मिट्टी की जैव विविधता और मधुमक्खी जैसे – परागसंगम वाहको की पुनर्स्थािपना हो सके।
कार्यक्रम को संगोष्ठी के आयोजक सीटीएई के अधिष्ठाता डॉ. एसएस राठौड़ एवं संगोष्ठी के समन्वयक तथा एमपीयूएटी प्रबन्ध मण्डल के सदस्य सुहास मनोहर ने भी सम्बोधित किया। अंत में भारतीय किसान संघ चितौड़ प्रान्त के महामंत्री प्रवीणसिंह चौहान ने धन्यवाद दिया एवं संचालन क्षेत्रिय अनुसंधान निदेशक डॉ. शान्ति कुमार शर्मा ने किया। संगोष्ठी में राजस्थान एवं देश के अन्य प्रान्तों से लगभग 1000 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। संगोष्ठी में विभिन्न सत्रो के माध्यम से इन दो दिनों में आज की आवश्यकता- जैविक खेती विषय पर गहन चर्चा की जायेगी तथा इसकी सिफारिशें राज्य सरकार को अनुमोदन हेतु भेजी जाएगी। विश्वविद्यालय के विभिन्न ईकाइयों के विभागों द्वारा किसानों के लिए तकनीकी प्रदर्शनी भी लगाई गई जिससे किसान उच्च तकनीकी का उपयोग कर अपना उत्पादन बढ़ा सके।