सामायिक दिवस पर तेरापंथ भवन में एक हजार लोगों ने की सामायिक
उदयपुर। शासन श्री साध्वी गुणमाला ने कहा कि ऑपरेशन से पहले एनेस्थेसिया दिया जाता है ताकि सुख दुख की अनुभूति न हो। समता में हों तब कुछ भी प्रभावित नही करता। समता सामायिक से आती है। सामायिक का अर्थ सिर्फ बैठना नही है। इसका अर्थ है समता की साधना।
वे रविवार को अणुव्रत चैक स्थित तेरापंथ भवन में पर्युषण के तीसरे दिन सामायिक दिवस पर धर्मसभा को संबोधित कर रही थी। इस अवसर पर तेरापंथ युवक परिषद की ओर से अभिनव सामायिक का आयोजन किया गया। साध्वी श्री ने सामायिक के जप करवाये। अ, सि, आ, ऊ, सा मंत्र के जप कराकर ध्यान करने के प्रयोग करवाये।
उन्होंने कहा कि समता का अर्थ अध्यात्म है, सिर्फ धन कमाना नहीं। तीन बातों का ध्यान रखें। जो अच्छा कार्य करेगा उसकी भी और जो नही करेगा उसकी भी आलोचना तो होगी ही। सामायिक में शुद्ध उच्चारण करना चाहिए। जो बोल रहे हैं, उसके अर्थ का ज्ञान होना चाहिए। इसमें आभार कहीं नहीं है, भगवान की साक्षी में सामायिक कर रहे हैं। उन्होंने राजा श्रेणिक की कहानी सुनाते हुए कहा कि श्रेणिक ने अपनी नरक गति टालने का आग्रह किया तो प्रभु ने उनसे पुण्या श्रावक की एक सामायिक लाने को कहा लेकिन राजा श्रेणिक पुण्या श्रावक की एक सामायिक नहीं ला पाया और नरक गति भोगी। साथ ही अनुप्रेक्षा करने का भी ध्यान रहना चाहिए। सामायिक में अपना काम करना है। कहीं से भी आपको डिस्टर्ब नहीं होना है। समता यानी विचलित नहीं होना है, तभी प्राणयुक्त सामायिक हो सकती है। हिंसा का त्याग करें यानी न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक भी।
साध्वी श्री लक्ष्यप्रभा, साध्वी प्रेक्षाप्रभा और साध्वी नव्यप्रभा ने सामायिक करने का कारण और उसका महत्व बताते हुए कहा कि सामायिक दो प्रकार की होती है। गृहस्थ और साधु। साधु की सामायिक जीवन भर की होती है वहीं गृहस्थ की 48 मिनट की। जिसके पुण्य का योग होता है और मनोबल मजबूत होता है वही साधु जीवन अपनाता है। 18 पापों का त्याग करना ही सामायिक है। निषेधात्मक-नकारात्मक भावों का त्याग ही सामायिक है। अगर जागरूकता और एकाग्रता नहीं हो तो सामायिक का फल नहीं मिलता। जितनी भी सामायिक करें लेकिन शुद्ध करें। आस्था-जागरूकता के साथ सामायिक करें। सामायिक किया है तो समता की साधना होनी चाहिए और उसकी प्रभावना तभी मिलेगी जब वह शुद्ध होगी। अगर टीवी इंटरनेट के लिए समय मिलता है तो फिर निश्चय ही सामायिक के लिए भी समय निकाला जा सकता है। एक सामायिक तो प्रतिदिन करनी ही चाहिए। साथ ही अभिनव सामायिक का प्रयोग करवाया। महिला मंडल की सदस्याओं ने मंगलाचरण किया। तेयुप सदस्यों ने अभिनव सामायिक पर गीत प्रस्तुत किया। तेयुप अध्यक्ष विनोद चंडालिया ने बताया कि अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में आज 11 हजार सामायिक की गयी।
सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने बताया कि प्रतिदिन सुबह 9.30 से 11 बजे तक प्रवचन, तीन सामायिक, दो घंटे मौन, स्वाध्याय आदि की नियमित साधना जारी है।