भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तत्वाधान में संचालित राष्ट्रीय संस्कृति संस्थान (मानित विश्वविद्यालय) नई दिल्ली द्वारा पूरे भारत में अनौपचारिक संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र खोले जा रहे है। इसी क्रम में उदयपुर के प्रख्यात विश्वविद्यालय पेसिफिक यूनिवर्सिटी के मैनेजमेंट विभाग के द्वारा आज शुभारंभ हुआ।
अध्यक्ष के रूप में पेसिफिक युनिवर्सिटी फैकल्टी आॅफ मैनेजमेन्ट की डीन, प्रो. महिमा बिड़ला ने बतलाया कि संस्कृत भाषा कि वैज्ञानिकता और सभी भाषाओं से भिन्न हो रही है तथा संस्कृत भाषा के मुलाक्षरों कि विशेष्ठता के बारे में जानकारी दी। विशेष अतिथि के रूप में जिला प्रभारी भारत स्वाभिमान न्यास उदयपुर महेश जी थारानी (जेठा सा) उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि मानव जाति कि अस्तव्यस्त जीवन शैली को सही करने के उपाय के तौर पर वेद, उपनिषद, पुराण तथा धर्मशास्त्रादी दिव्यग्रंथ स्थित ज्ञान राशि ही एक मात्र उपाय है, तथा शांति प्रदायक है। ये सभी ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे गए है। अतः ज्ञान व शांति प्राप्त करने के लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान आवश्यक है।
उनके उद्बोधन के बाद केंद्र शिक्षक जयदेव राज्यगुरू ने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान की स्थापना तथा आरम्भ के विषय के बारे में बताते हुए संस्कृत भाषा की महत्ता के बारे में बताया। उन्होंने संस्कृत भाषा के उच्चारों के बारे में बात की तथा केंद्र में कक्षा के लिए जागृत्तता तथा पाठ्यक्रम में आवेदन के हेतु सर्व का आवाहन किया। पाठ्यक्रम के विषय मे बताते हुए उन्होंने कहा की यह पाठ्यक्रम 100 घंटे का है तथा नामांकन शुल्क मात्र 350 रूपये है। पाठ्यक्रम के अन्त में छात्रों की परीक्षा ली जायेगी तथा उत्तीर्ण छात्रों को प्रमाणपत्र भी दिये जायेंगे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जोधपुर में स्थित भारत स्वाभिमान के पश्चिमी राजस्थान के राज्य कार्यालय में कार्यालय प्रबंधक तथा राज्य कार्यकारिणी के सदस्य मांगीलाल जी जेलिया ने उपस्थिति देकर सबको उद्बोधित किया था। उन्होंने प्रवचन में वसुधैव कुटुंबकम् के भावना की बात करते हुए सभी प्राणी मात्र की जीवनशैली तथा मनुष्य की मनुष्यता को अन्य प्राणिमात्र से अलग तथा उन्नति के लिए संस्कृत में स्थित आहार निद्रा भयमैथुनम् च श्लोक के माध्यम से भेद दर्शाया। कार्यक्रम की आभार विधि के लिये श्रीमती ललिता महेरा ने सभी मञ्चस्थ महानुभाव तथा आगन्तुको का आभार माना तथा नूतन प्रवेश इच्छुक छात्रो का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का सम्पूर्ण संचलन भूपेन्द्र शर्मा ने संस्कृत भाषा में किया तथा कार्यक्रम की विशेषता यह रही की सम्पूर्ण कार्यक्रम संस्कृत भाषा मे आयोजित हुआ तथा सभी प्रवेशित छात्रो ने संस्कृत भाषा में गीत गान किया। कार्यक्रम के अन्त में उपस्थित सर्वजनों ने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान का कुलगीत गान किया।