उदयपुर। अशोक नगर स्थित गीता रामायण सेवा संघ आश्रम में बिराजित महात्मा शारदा जी का आज देहान्त हो गया। आश्रम से निकली उनकी डोलयात्रा में हजारों भक्तजन शािमल थे। अशोक नगर स्थित श्मशानघाट पर उनको अंतिम विदाई दी गई।
शिष्य दिनेश कटारिया ने बताया कि ब्रम्हलीन शारदा जी का जन्म पंजाब के लुधियाना में 15 दिसंबर 1938 को चुन्नीलाल मेहता के घर हुआ। महात्मा जी ने बी.ए व बी.एड करने के पश्चात उदयपुर में ही जगदीश चैक सरकारी स्कूल में बतौर शिक्षिका कार्य किया।
25 अप्रेल 1960 में अपने गुरू बावरा जी महाराज से दीक्षा प्राप्त कर सन्यास ले कर उदयपुर में गीता रामायण सेवा संघ आश्रम में बिराजित हुए। जहाँ पर धर्मनारायण आचार्य ने आश्रम चलाने में अपना जीवन समर्पित कर दिया। आश्रम में नियमित प्रातः 7 बजे प्रार्थना सभा संचालित होने लगी, जिसमंे आद्यात्म पर नियमित चर्चा होती थी। मंगलवार व गुरुवार को महिलाओं के लिए गीता व रामायण पर महात्मा जी प्रवचन करते थे। कई वर्षों तक आश्रम में पांचवी तक के बच्चों के लिए स्कूल संचालित होता था, जिसमें स्वयं महत्मा जी भी बच्चों को अक्षर ज्ञान देते थे व गीता का पाठ पढाया करते थे।
इस आश्रम के वर्तमान अध्यक्ष रविंद्र श्रीमाली 1965 से गुरु जी के सानिध्य में रह कर गीता के श्लोक व रामायण की चैपाईयों का पाठ करने में पारंगत हो गए। इस अवसर पर रविंद्र श्रीमाली, प्रभुदास पाहुजा, प्रेम अछपाल, सुरेश कटारिया , सत्यनारायण लढा, राजेश साहू, देवेंद्र श्रीमाली , किशोर पाहुजा, लाभचंद, दिनेश कटारिया, कन्हैयालाल, देवीलाल, पुरुषोत्तम, आनंदीलाल , बालकिशन, सुरेश, दिलीप, रामनारायण, डॉ. राजेंद्र, सरला कटारिया, सुनीता कटारिया , रेनू पाहुजा, नीलम कटारिया, रोमा, रचना अछपाल, संतोष, राधिका लढा , रेनू डोडेजा , सुलोचना , शालिनी कस्तूरी, बीना, आदि मुख्य शिष्यों व भारी संख्या में मौजूद हजारों शिष्यों ने उन्हें अंतिम विदाई दी।