उदयपुर। पेसिफिक विश्वविद्यालय, उदयपुर मे रसायन विज्ञान के उभरते आयामों के क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफलतापूर्वक समापन हुआ। इस अवसर पर प्रातः कालीन सत्र में रसायन विज्ञान के विद्वान जोधपुर विश्वविद्यालय के पूर्व प्रो. प्रदीप शर्मा ने प्रो. सुरेश आमेटा द्वारा प्रस्तावित ष्ए-इंडेक्सष् पर व्याख्यान दिया। इस ष्ए-इंडेक्सष् के लिए प्रो. आमेटा को कॉपीराइट भारत सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया है। इसके पश्चात् डॉ. रक्षित आमेटा ने श्साइको केमिस्ट्रीश् विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। दोनो ही व्याख्यानों में विज्ञान के नवीन आयामों पर चर्चा हुई।
संगोष्ठी के दूसरे दिन के तकनीकी सत्र में रसायन विज्ञान के क्षेत्र में शोध कर रहे शोधाथियों ने मौखिक शोध-पत्र प्रस्तुत किये। इस सत्र की अध्यक्षता मीरा कन्या महाविद्यालय की सह-आचार्य डॉ. ममता आहूजा ने की।
अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह में सभी शोधार्थियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किये गए। इस कॉन्फ्रेंस में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात, आदि राज्यों एवं नाइजीरिया, स्पेन, थाइलैंड, आदि देशों के प्रतिभागियों ने शोध-पत्र प्रस्तुत किए।
वरिष्ठ शोधार्थी वर्ग में श्रेष्ठ शोध-पत्र प्रस्तुति हेतु डॉ. चेतना आमेटा, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर, शम्भुलाल अग्रवाल, पेसिफिक विश्वविद्यालय, उदयपुर को तथा युवा-शोधार्थी वर्ग से रवि वैराध्य, पी. डी. पटेल इंस्टिट्यूशन ऑफ एप्लाइड सांइस, चौरसेट विश्वविद्यालय, गुजरात, खुशबु शर्मा, बी. एन. युनिवर्सिटी, उदयपुर, गरिमा माथुर, जय नारायण व्यास युनिवर्सिटी, जोधपुर, रजनी रामावत, जय नारायण व्यास युनिवर्सिटी, जोधपुर, नुशरत साहिबा, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर एवं शुभांग व्यास, पेसिफिक विश्वविद्यालय, उदयपुर को पुरस्कृत किया गया।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. जे. जे. वोरा, कुलपति, उतर गुजरात विश्वविद्यालय, पाटन ने अपने उद्बोधन में कहा कि पदार्थों में ईच्छित गुणधर्मों को उत्पन्न करने के लिए रसायनज्ञों की महती भूमिका हैं । इस कॉॅन्फ्रेंस के माध्यम से युवा वैज्ञानिकों को स्मार्ट मटेरियल को संश्लेषित तथा उन्हे प्रकाशीय, विद्युत, चिकित्सकीय आदि उपयोग हेतु प्रयुक्त करने की दिशा में आगे आना होगा। प्रो. वोरा ने इस कॉन्फ्रेंस को वैज्ञानिक विमर्श का सफल आयोजन बताया।
समापन समारोह के अध्यक्षीय उद्बोधन में पेसिफिक ग्रुप के प्रेसिडेन्ट डॉ. बी. पी. शर्मा ने कहा कि भारत के प्राचीन रसायन विज्ञान के साथ आधुनिक विज्ञान में नैनो रसायन, कीरल यौगिकों के संश्लेषण के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन हेतु शोध कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होने बताया कि स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव पर आत्मनिर्भर भारत एवं टिकाऊ विकास हेतु रसायन विज्ञान की केन्द्रीय भूमिका रहेगी। डॉ सीमा कोठारी ने कॉन्फ्रेंस की रिपोर्ट प्रस्तुत की।
इस अवसर पर प्रो. सुरेश आमेटा, डॉ. हेमन्त कोठारी, डॉ. रामेश्वर आमेटा, डॉ. दीपक व्यास एवं डॉ. मुकेश श्रीमाली द्वारा कार्यक्रम की सफलता के लिए विभिन्न स्थानों से आए शोधार्थियों द्वारा शोध-पत्रों की प्रभावी प्रस्तुति को सराहा गया। संचालन डॉ. सुभाष शर्मा एवं धन्यवाद डॉ. प्रिंयका जालोरा ने ज्ञापित किया।