राजस्थान विद्यापीठ में जारी अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का समापन
उदयपुर. देशभर से उदयपुर में जुटे आईटी विशेषज्ञों ने निर्णय लिया है कि अब आईटी की नई तकनीक से गांवों को भी प्रमुखता से जोड़ा जाएगा। बताया गया कि आईटी की विभिन्न विधाओं का सबसे ज्यादा प्रभाव शहरी क्षेत्र तक ही सीमित रहता है, जबकि इस विधा का ईजाद सार्वजनिक तौर पर किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी आईटी तकनीक का न्यूनतम प्रभाव ही देखा जाता है। इस कारण इसे सर्वसुलभ बनाने के उद्देश्य से अब गांवों को भी इन तकनीकों से प्रमुखता से जोड़ा जाएगा।
यूनिवर्सिटी ऑफ केनबरा से आए प्रो. मुर्रे वुड्स ने बताया कि भारत में अधिकांश जनता गांवों में निवास करती है। इस कारण आईटी का फायदा शहरी क्षेत्र में रहने वाली न्यूनतम जनता तक ही पहुंच पाता है। जिससे नई तकनीकों की सार्थकता सिद्ध नहीं हो पाती है। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ में हुई इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के माध्यम से सभी आईटी विशेषज्ञों ने भी इस बात संकल्प किया कि अब ग्रामीण परिवेश को प्रमुखता देते हुए आईटी के नए आयामों को स्थापित किया जाएगा। यह बात उन्होंने शिक्षा में आईटी के नवीनतम आयाम विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि कही। विशिष्ट अतिथि के रूप में यूनिवर्सिटी ऑफ आस्ट्रेलिया के प्रो. जॉर्ज एम ज्योग्राऊ थे, जबकि अध्यक्षता आयोजन सचिव प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. हिना खान ने किया।
740 शोध पत्रों का वाचन : आयोजन सचिव प्रो. सारंगदेवोत ने बताया कि तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में कुल 740 शोध पत्रों का वाचन किया गया, जो आईटी के नवीनतम आयामों से संबंधित थे। हालांकि सेमिनार में 1300 से अधिक पत्र आए थे। उनमें से चयनित पत्रों को ही शामिल किया गया।
इन्हें मिले पुरस्कार : बेस्ट पेपर का अवार्ड (प्रथम) मुंबई के एमएस रेम्पे को, द्वितीय पुरस्कार वेस्ट बंगाल की पोलामी दास को तथा तृतीय पुरस्कार राजस्थान के धर्मेश भट्ट को दिया गया। यंग साइंटिस्ट अवार्ड की श्रेणी में नोएड़ा के डॉ. मुनेश सी त्रिवेदी को दिया जबकि एप्रिसिएशन अवार्ड उदयपुर की डॉ. आशा अरोड़ा को प्रदान किया गया।