उदयपुर। गोवत्स राधाकृष्ण महाराज ने कहा कि वे हमेशा राजनीतिक टिप्पणी से बचते रहे हैं लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य की परिस्थितियों में यह कहना पड़ रहा है कि देश के राजा राष्ट्र विद्रोहियों की खातिरदारी कर रहे है। उनकी सुरक्षा के प्रबन्ध किये जा रहे है। राजधर्म को वे टाल रहे है लेकिन ऐसी परिस्थितियों में भी यदि मेवाड़ जागृत रहा तो मेवाड़ी धरती पर पुन: महाराणा प्रताप पैदा होंगे।
आज ओरियंटल पैलेस मे के.जी.गट्टानी फाउन्डेशन द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत के तीसरे दिन कथा वाचन के दौरान उन्होनें उक्त बात कही। उन्होनें भक्तों से आग्रह किया कि वे उस संस्कृति से दूर रहे जो इन्टरनेट पर उपलब्ध रहती है। महाराज ने कहा कि भारत भावनाओं का देश है। यदि यहंा भावनायें नहीं होती तो गौ माता के पालक नहीं होते। प्रकृति की ओर से देश में चारा पानी का संकट आने पर हम अपने उस दायित्व से कभी मुंह नहीं मोड़े जिसमें गौ माता के प्राणों की रक्षा की जाती है।
राधाकृष्ण महाराज ने कहा कि वृक्ष भगवान के रोम-रोम में है और उनकी नाडिय़ों में नदियां बहती है। शरीर में सबसे अधिक पीड़ा तब होती है जब हमारा बाल तोड़ हो जाता है। सबसे चिंताजनक बात तब होती है जब नाड़ी दोष होता है। फैसला श्रोता को करना है कि नदियों में कचरा डाल कर भगवान की नाड़ी को दूषित करना है या नहीं। यदि की पेड़ काटना आवश्यक है तो उसके पूर्व पेड़ लगाना चाहिये तब पेड़ काटने के बारें मे सोचना चाहिये।
फाउण्डेशन की श्रद्धा गट्टानी ने बताया कि आज प्रात: महाराज राधाकृष्ण महाराज ने जगदीश मन्दिर, घण्टाघर क्षेत्र में दो किलेामीटर की प्रभातफेरी कर जनता को भजन-कीर्तन के साथ आनंदित कर दिया। शुक्रवार युबह सवा पांच बजे शिवमंदिर, हिरणमगरी से. 4 से तथा शनिवार सुबह 5 बजे से सुभाषनगर पाठेश्वर मंदिर से प्रभात फेरी निकलेगी। आज के कथा में अतिथियों के रूप में नारायण सेवा संस्थान के संस्थापक कैलाशचन्द्र अग्रवाल मानव, शहर विधायक गुलाबचन्द कटारिया, मुकेश काबरा, वीना राठी, अरूण बलवा सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।