udaipur. दुनिया में चार प्रकार के लोग होते हैं। पहले वे जो अकेले में रहते हैं जीते हैं, दूसरे वे जो अकेले में रहते हैं और भीड़ में जीते हैं, तीसरे वे जो भीड़ में रहते हैं और अकेले में जीते हैं और चौथे वे जो भीड़ में रहते हैं और भीड़ में जीते हैं।
इनमें से पहले व तीसरे प्रकार के लोग श्रेष्ठ हैं। क्योंकि मेरा कुछ भी नहीं, सब पराया ही है, इस प्रकार का एकत्व आत्मा का चिन्तन ही आकिंचन धर्म है। उक्त विचार आचार्य श्री सुकमालनन्द जी महाराज ने सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में आयोजित पर्यूषण महापर्व पर आयोजित विशाल धर्मसभा में किये।
आचार्यश्री ने कहा कि एकत्व में ही सुख है, शांति है। अपनी आत्मा को अपने से ही ढूंढ कर निकालना है। न कोई तेरा है और न कोई मेरा है। यह दुनिया स्वार्थी है। पर वस्तुओं और भावों में संलिप्त है। पर द्रव्य ही दुख का कारण नहीं है, अपितु वस्तुओंं के प्रति राग- द्वेष ही दु:ख का कारण है। इसलिए राग- द्वेष का त्याग कर अपनी आत्मा में स्मरण करना चाहिये। दु:खों की जड़ ही राग- द्वेष है।
धर्मसभा के दौरान ही 29 सितम्बर को होने वाले पारणा महोत्सव की पत्रिका का विमोचन चातुर्मास समिति द्वारा किया गया। सभी 165 तपस्वियों ने आचार्यश्री को श्रीफल चढ़ा कर आशीर्वाद लिया। सभी ने विशाल शोभा यात्रा के साथ आचार्यश्री कें सानिध्य में मंदिरजी जाकर पूजन सामग्री समर्पित की। बाहर से पधारे हजारों अतिथियों ने उवास वालों से साता भी पूछी।
29 सितम्बर को आयोजित होने वाले धार्मिक समारोह के लिए विशाल डोम पाण्डाल तैया किया गया है। शोभा यात्रा पारणा की पूरी तैयारी की गई है।
चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रमोद चौधरी ने बताया कि 28 सितम्बर को शाम 7 बजे शाही कॉम्पलेक्स में महिला संगीत रखा गया है। जिसमें आचार्य सुकुमालनन्दी चातुर्मास समिति की ओर से विशेष प्रभावना वितरित की जाएगी।