udaipur. चर्म एंव रतिज रोग विशेषज्ञ डॉ. ललित गुप्ता ने बताया कि शरीर के भीतर छिपी बीमारियों का आईना होता है त्वचा रोग। इसलिए किसी भी प्रकार के त्वचा रोग को हलके में नहीं लेकर उसका समय पर इलाज कराना चाहिये। त्वचा उभर कर आने वाला रोग शरीर के भीतर होने वाले कैंसर को भी बता देता है।
वे कल वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति उमंग द्वारा योग सेवा समिति परिसर में आयोजित ‘वृद्धावस्था में चर्मरोग एंव सावधानियंा‘विषयक वार्ता मे मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होनें बताया कि वर्ष 2002 में विश्व में 60 वर्ष से अधिक उम्र के 605 मिलीयन वृद्ध लोग थे जो वर्ष 2025 तक बढक़र 1.2 बिलीयन हो जाऐंगे। इसलिए ढ़लती उम्र में त्वचा की विशेष देखभाल करनी चाहिए। नहाने के तुरन्त बाद दो मिनिट के भीतर शरीर पर सफेद पेट्रेालियम जेली या नारियल के तेल की मालिश करनी चाहिए ताकि त्वचा मुलयम एंव तंदुरूस्त बनी रहे।
उन्होनें कहा कि चर्म रोग में वंशानुगत बीमारियों का भी योगदान रहता है। सर्दी में त्वचा अधिक शुष्क हो जाती है और खुजली भी अधिक होती है लेकिन अधिक समय तक चलने वाली खुजली को नजरअन्दाज नहीं करना चाहिए क्योंकि वो कभी-कभी कैंसर के लक्षण को प्रदर्शित करती है। अब ल्यूडोकर्मा रोग लाईलाज नहीं रहा। परफ्यूम, डियो आदि का भी उपयोग कम करना चाहिए क्येंकि इसके अधिक उपयोग से त्वचा के काली होने की संभावना रहती है।
देखभाल-डॅा. गुप्ता ने कहा कि त्वचा देखभाल के लिए ढीले कपड़े पहनने चाहिए। अत्यधिक गर्म पानी या अत्यधिक ठंडे पानी से नहीं नहाना चाहिए। इससे पूर्व समिति के संस्थापक अध्यक्ष डॅा. सुन्दरलाल दक ने बताया कि हम त्वचा की जितनी अधिक देखभाल करेंगे उतने ही हम अत्यधिक स्वस्थ रहेंगे।