udaipur. दीपावली पर्व भगवान महावीर का निर्वाणोत्स व है जिसे हमें धर्म प्रभावना पूर्वक मनाना चाहिए। वे यहां हुमड़ भवन में नियमित प्रवचन को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले श्रावक हेमंत गदिया ने विभिन्नु साधु संतों का आशीर्वाद प्राप्त किया।
उन्होंने कहा कि आतिशबाजी से जीवों की प्राणघातक हिंसा होती है, जनहानि व धन हानि होती है। इससे बचना चाहिए। बच्चोंम व बालिकाओं को पटाखे नहीं छोड़ने की बात कहें। साधु संतों की गुरु भक्ति, तपस्याम, साधना, व्रत, नियम, संयम से दीप पर्व मनाएं। मुनि अनुभवसागर ने कहा कि पुनीत पर्व को अहिंसात्मडक रूप से मनाएं। हिंसा न हो, आतिशबाजी न हो। इसे धार्मिक आयोजन के रूप में मनाएं। समाज के शांतिलाल नागदा ने बताया कि आचार्य अभिनंदन सागर के सान्निध्यक में चातुर्मास में विविध आयोजन हुए हैं। 20 से 29 नवम्बगर तक तेरह द्वीप विधान होंगे। 25 नवम्बुर को पिच्छिका परिवर्तन समारोह होगा।
ओसवाल भवन में साध्वी चंदनाजी, डॉ. अक्षयज्योनति ने कहा कि ब्रह्मचर्य समाधि का निरुपण है। जो ब्रह्मचर्य व्रत की आराधना करता है, वही शेष समस्तॉ व्रत नियम, तप, शील, विनय, सत्यज, संयम आदि की श्रेष्ठि आराधना कर सकता है। ब्रह्मचर्य व्रतों का शिरोमणि है। उन्हों ने कहा कि स्वसयं अभय चाहते हो तो दूसरों को भी अभय हो। ओसवाल भवन में रविवार को देवेन्द्र मुनि का जन्म जयंती समारोह मनाया जाएगा। सामायिक व गुणानुवाद सभा सुबह 9 बजे होगी।