सैण्ड आर्ट बना आकर्षण
Udaipur. यहां हवाला गांव में चल रहे ‘शिल्पग्राम उत्सव-2012’’ में भीलवाड़ा के बहुरूपिया कलाकार जानकीलाल भी विविध रूप धारण कर लोगों का खूब मनोरंजन कर रहे हैं। 70 दशक देख चुके जानकीलाल में आज भी वही जोश और दम है।
वे ऐसे कलाकार हैं जो शिल्पग्राम की स्थापना के समय अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं। तकरीबन 25-26 साल बाद वे आज भी अपनी कला के प्रति पूर्ण समर्पण भाव रखते हैं। जानकीलाल ने बताया कि जब शिल्पग्राम बना तब कार्यक्रम करने आया तब और आज में काफी बदलाव है। वे बताते हैं कि बहुरूपी कला के प्रति लोगों का उस समय भी काफी जुड़ाव था और आज भी ऐसे आयोजनों में लोग बहुरूपियों को सम्मागन देते हैं। कला के दम पर विदेशों में अपना परचम लहराने वाले जानकी लाल पारंपरिक रूप से विभिन्न देवी-देवताओं का चरित्र निभाते हैं किन्तु साथ ही गाडिया लोहार, बंदर, बदाम बाई जैसे रोचक किरदार को आज भी लोग पसंद करते हैं।
कलात्मक वस्तुओं की खरीदारी का दौर सोमवार को जारी रहा वहीं सुबल महाराणा की सैण्ड आर्ट लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। सोमवार को हाट बाजार के चर्म शिल्प में जरी की जूती, मोजडिय़ां, लैदर बैग्स, तिल्ला जुत्ती, जैकेट्स, पर्स, बैल्ट की दूकानों पर युवाओं की भीड़ रही वहीं जूट शिल्प क्षेत्र में जूट के बने झूले, बोटल बैग, जूट की चप्पल, मोबाइल कवर आदि की बिक्री हुई। शिल्पग्राम के हाट बाजार में ही खुर्जा की कलात्मक व रंगबिरंगी पॉटरी के फूलदान, चाय के प्याले, टी सैट, मसाले दानी आदि उल्लेखनीय है। अलंकरण में विभिन्न प्रकार के आभूषण मोती के हार, पीतल के नैकलेस, उड़ीसा की पीतल की सजावटी नक्कशीदार मूर्तियां, जयपुर की तारकशी, लाख की चूड़ी, वूलन कारपेट, नमदे के बनी वॉल पीस की स्टॉल पर लोगों की खासी रौनक देखी गई। हाट बाजार में लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को रिझाया इनमें बहुरूपिया, महाराष्ट्र का शब्द भेद, विशाल पुतलियां प्रमुख हैं।
रंगमंच पर सोमवार को आयोजित ‘‘लोक परंपरा’’ में कथकली कलाकारों ने महाभारत के ‘कीचक वध’ प्रसंग का मंचन किया। भाव भंगिमाएं तथा आंगिक अभिनय दर्शकों को खूब रास आया। कार्यक्रम में ही गुजरात के मेवास अंचल के मेवासी कलाकारों ने अपने नृत्य से दर्शकों को रोमांचित कर दिया। मेवासी सगाई चांदला नृत्य में कलाकारों ने गोलाकार तथा अन्य कतारबद्ध संरचनाएं बनाते हुए पिरामिड की रचना की तथा प्रस्तुति के आखिर में देवी अम्बा की सवारी अनूठे अंदाज में निकाली। लोक गायक नेक मोहम्मद लंगा ने ‘कलंदर’ सुनाया।
त्रिपुरा का होजागिरी कार्यक्रम की मोहक प्रस्तुति बन सकी। रंगमंच पर ही आज बहुरूपिया कलाकारों ने भगवान शंकर, विष्णु, हनुमान, मारवाड़ी सेठ के चरित्र में अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का मनोरंजन किया। किशनगढ़ की गूजर महिलाओं द्वारा किया जाने वाला चरी नृत्य आकर्षक प्रस्तुति रही। पंजाबी कुडिय़ों ने गिद्दा में टप्पे व अपनी अठखेलियों से दर्शकों का मनोरंजन किया। गोवा के कलाकारों ने इस अवसर पर धनगरी गजा नृत्य प्रस्तुत किया। उत्तराखण्ड के कलाकारों ने ‘‘जौनसारी नृत्य से अपने अंचल की संस्कृति के रंग बिखेरे। कार्यक्रम में इसके अलावा लावणी, गुदुमबाजा की प्रस्तुति सराहनीय रही।