माइक्रोवाइटा पर शोध के लिए
Udaipur. सोसायटी फॉर माइक्रोवाइटा रिसर्च एंड इन्टीग्रेटेड मेडिसिन (स्मरिम) की ओर से टेकरी-मादड़ी लिंक रोड स्थित कार्यालय में सोमवार को माइक्रोवाइटा दिवस मनाया गया। इस दिन 1986 को पहली बार प्रभात रंजन सरकार ने माइक्रोवाइटा (अणुजीवन) पर पहला व्याख्यान दिया था।
स्मरिम अध्यक्ष डॉ. एस. के. वर्मा ने बताया कि माइक्रोवाइटा सबसे सूक्ष्म जैविक सत्ता है जो शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध आदि के साथ ब्रह्माण्ड में संचरण करते हैं। वायरस भी माइक्रोवाइटा का ही एक स्थूल रूप है। सचिव डॉ. वर्तिका जैन ने इसके अनुसंधान पर जोर देते हुए इसकी महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस पर शोध के लिए भौतिक के साथ मानसिक प्रयोगशालाओं की जरूरत है। मानसिक प्रयोगशालाओं को मजबूत करने के लिए साधना, सत्संग व स्वाध्याय जरूरी है। सशक्त मानसिक पृष्ठभूमि पर ही इस क्लिष्ट व रहस्यमयी विषय के शोध के लिए बीज अंकुरित हो सकते हैं। इस अवसर पर त्रैमासिक पत्रिका बोमरिम का भी विमोचन किया गया। समापन धनात्मक माइक्रोवाइटाजन्य कीर्तन, सत्संग, स्वावध्याय से हुआ। इस अवसर पर गिरधारीलाल सोनी, ओंकारलाल शर्मा, मंजू आदि मौजूद थे।