आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज के सानिध्य में होगा समारोह
udaipur. सकल जैन समाज की ओर से आचार्य सुकुमालनंदी के कर कमलों से 27 जनवरी को सुबह साढ़े 9 बजे से भव्य दीक्षा कार्यक्रम होगा। पूर्व में तीन दीक्षार्थियों की दीक्षा का कार्यक्रम था लेकिन एक दीक्षार्थी का स्वास्थ्य अनुकूल नहीं होने के कारण अब 2 दीक्षार्थियों को ही दीक्षा दी जाएगी।
आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने आज यहां अशोकनगर स्थित शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि टाउनहॉल प्रांगण में 27 जनवरी को सुबह 9 बजे से भव्य जेनेश्वरी दीक्षा कार्यक्रम आरंभ होगा। इसमें आचार्यश्री के संघ में गत कुछ वर्षों से साधनारत बाल ब्रह्मचारी सप्तम प्रतिमाधारी अजय भैया की मुनि दीक्षा भी इसी दिन होनी थी लेकिन गत तीन माह से अजय भैया को बुखार है। साथ ही उनके पिताजी का स्वास्थ्य भी नरम होने व अन्य अनुकूलताएं नहीं होने के कारण इनकी मुनि दीक्षा स्थगित की गई है। अगले कुछ समय बाद अनुकूलताएं सकारात्मक होने पर इनकी मुनि दीक्षा हो पाएगी। शेष दो ब्र. कौशल्या बहिन एवं ब्र. सुशीला बेन की जैनेश्वरी दीक्षा 27 को ही होगी होगी।
समाज के अध्यक्ष रोशनलाल चित्तौड़ा ने बताया कि दीक्षा का तीन दिवसीय कार्यक्रम 25 जनवरी से शुरू होगा। इस दिन दोपहर 3 बजे दीक्षार्थियों की गोद भराई रस्म के बाद मंगल गान व मंगल स्नान होगा। शाम को भक्ति संध्या का आयोजन होगा। इसके अगले दिन 26 जनवरी को दोपहर 1 बजे गणधर वलय विधान का आयोजन होगा। शाम 5 बजे दीक्षार्थियों की बिनौली, प्रभावना होगी। रात्रि को भक्ति संध्या, महाआरती एवं गुरुभक्ति होगी।
तरूण चित्तौड़ा ने बताया कि 27 जनवरी को प्रात: 7.30 बजे अभिषेक शांतिधान के बाद 8 बजे शांतिनाथ मंदिर से दीक्षार्थियों की शोभायात्रा आरंभ होगी जो मुख्य मार्गों से होते हुए टाउनहॉल पहुंचेगी। 9 बजे अल्पाहार व परसादी के बाद 9.30 बजे दीक्षा विधि आरंभ होगी। इसके तहत मंगलाचरण के बाद दीक्षार्थियों द्वारा निवेदन किया जाएगा। स्वीकृति मिलने के बाद आसन ग्रहण होगा।तत्पश्चात केशलौंच प्रारंभ होगा। दीक्षा संस्कार प्रवचन के बाद नामकरण संस्कार होगा तथा अतिथि सम्मान होगा। इसके बाद दोपहर 11.30 बजे उदयपुर के सकल जैन समाज का स्वामी वात्सल्य होगा।
शीतल जावरीया ने बताया कि आचार्य श्री सुकुमालनंदी द्वारा अब तक 7 को मुनि सुविधिनंदी, मुनि सुयशनंदी, क्षुल्लक सुनयनंदी, मुनि सुपार्श्वनंदी, आर्यिका सुवर्णश्री, क्षुल्लिका सुव्रतश्री एवं क्षुल्लक सुलोकनंदी को दीक्षाएं प्रदान की जा चुकी हैं। इसके अलावा सैकड़ों श्रद्धालुओं को पंचम गुणस्थान व्रत प्रतिमा आदि संस्कार दीक्षा भी प्रदान किए गए हैं। दीक्षा कार्यक्रम के लिए विभिन्न समितियां गठित की गई हैं जिनमें भोजन व्यवस्था का अशोक गोधा, समाज व्यवस्था का रोशनलाल चित्तौड़ा, पांडाल का अनिल वैद, माइक का सनत कुमार, संगीतकार तथा प्रतिष्ठाचार्य छतरपुर के पंकज शास्त्री होंगे। इस अवसर पर आचार्यश्री के संघ में विभिन्न मुनिजन मुनि चिन्मयनंदी, क्षुल्लक सुलोकनंदी, आर्यिका मुक्तिश्री, आर्यिका सुवर्णश्री, क्षुल्लक सुव्रतश्री आदि भी उपस्थित रहेंगे।
क्या है जैनेश्वरी दीक्षा-जब संसार रुपी सागर में रहते हुए इस जीव को भव पर करने की अत्यंत इच्छा बलवती हो जाती है और आत्मा में राग, द्वेष आदि कषाय शांत होने लगते हैं, मन समता भाव से परिपूर्ण हो जाता है तो सद्गुरुदेव के चरणों में जाकर संसार से वैराग्य होने का संकल्प जाहिर करके गृह त्याग की भावना से मोक्ष मार्ग में कदम बढऩे की इच्छा को उजागर करता है। तब सद्गुरु उस मुमुक्षु जीव को गृहरुपी कीचड़ से हटाकर मोक्षपथ रुपी नया जन्म अंगीकार कराते हैं और नाम वेशभूषा आदि सब परिवर्तन कर दिये जाते हैं।
दीक्षार्थी परिचय : आगरा के प्रसिद्ध परमेष्ठीदास, धन्य कुमार, जम्बू कुमार एवं पद्मकुमार सौगानी परिवार में पद्मकुमारी सौगानी की धर्मपत्नी ब्र. कौशल्या बहिन आरंभ से ही धर्म-कर्म में अग्रणी रही हैं। वे शुरू से ही धर्मात्मा के रूप में घर में रहकर भी साधु की तरह जीवन व्यतीत कर रही हैं। आगरा वाले रतनलाल बैनाड़ा एवं जयपुर के मोतीसंस ज्वेलर्स छाबड़ा इनके समधी हैं। इनके एक पुत्र नरेन्द्र कुमार, अतुल पौत्र तथा नमन प्रपौत्र हैं। इनके अतिरिक्त दो पुत्रियां मनोरमा व पे्रमलता हैं। तीन पौत्रियां निरुपा, सपना एवं शरणा हैं। ये मूल निवासी हाथरस की हैं। व्यवसाय क्षेत्र में सुव्यवस्थित होकर फैक्ट्री चल रही हैं।
ब्र. सुशीला बहिन-दुर्ग के प्रसिद्ध खंडेलवाल सरावगी करोड़पति खानदान से संबंधित ये बचेली (दुर्ग) के मूलचंद सेठ की धर्मपत्नी हैं। ये 10 साल से सप्तम प्रतिमाधारी हैं। इनके पुत्र राजेश का गोवा में अच्छा खासा व्यवसाय है। एक अन्य पुत्र मनीष बचेली में ही हैं। इनकी दो पुत्रियां मंजू एवं संगीता हैं। इनके तीन पौत्र व दो पौत्रियां हैं।