फतहनगर. साधु का जीवन निर्मल होता है। साधु जीवन का व्रत करना सरल है निभाना कठिन। आत्म कल्याण करना चाहते हैं तो सद्कर्मों का उपार्जन करें। ये विचार श्रमण संघीय मेवाड़ प्रवर्तक महाश्रमण मदन मुनि ने मंगलवार को घासा गांव में चातुर्मास के तहत चल रही धर्मसभा के दौरान गोचरी दया कार्यक्रम के तहत व्यक्त किए।
उन्होंने धर्म की साधना से समस्या का समाधान करने कथनी और करनी की एकरूपता बताई। धर्म सुखी जीवन का सार है तो ममत्व दुखों का मूल कारण है। ममत्व व अहंकार का त्याग मोक्ष का मूल है। डॉ. सुभाष मुनि ने कहा कि भूख से कम आहार करना स्वास्थ्य का सूचक है। निरोगी रहना है तो शाकाहार को प्रमुखता देनी होगी। प्रदीप मुनि ने कहा कि व्रत जीवन का श्रृंगार है। व्रत बिना जीवन निस्सार है। रविन्द्र मुनि ने कहा कि इंसान को जीवन में व्यवहार को प्रमुखता देनी चाहिए। इस अवसर पर भारेष गुरू स्मृति दिवस भी मनाया गया। इस अवसर पर वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ घासा के अध्यक्ष माधवलाल बड़ालमिया, चातुर्मास व्यवस्था समिति अध्यक्ष लक्ष्मीलाल डांगी आदि ने बाहर से आए श्रावक-श्राविकाओं का स्वागत किया। संचालन समर्थलाल बड़ालमिया ने किया। बुधवार को आचार्य आनन्द ऋषि की जयंती पर आयम्बिल समेत कई कार्यक्रम होंगे।