udaipur. स्वामी विवेकानन्द का आध्यात्मिक चिंतन आज भी पूरे विश्व के लिए प्रेरणास्पद बना हुआ है। उन्होनें अल्पायु में अपने चिंतन से पूरे विश्व में अध्यात्म का प्रकाश फैला कर यही संदेश दिया कि यदि मन ईश्वर को प्राप्त करने की दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो ही आप ईश्वर को पा सकते है।
शारदा मठ इन्दौर की अध्यक्षा मां अमितप्राणा ने आज प्रतापनगर स्थित जनार्दनराय नागर विश्वविद्यालय के सभागार में स्वामी विवेकानन्द सेवा न्यास एंव रामकृष्ण सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में स्वामी विवेकानन्द की 150 वंीं जन्म जयन्ती पर 11 सितंबर को शिकागो में आयोजित महासभा जयंती दिवस के उपलक्ष में तीन दिवसीय कार्यक्रम के प्रथम दिन मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए उक्त बात कही। उन्होनें कहा कि मनुष्य को अपने आप को दीनहीन नहीं समझ कर जीना चाहिए क्योंकि प्रत्येक मनुष्य अपनी क्षमता अनुसार कार्य करने मे संक्षम है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि जनार्दनराय नागर विश्वविद्यालय के उप कुलपति एस.एस.सारंगदेवोत ने कहा कि गरीब की सेवा ही सच्ची मानव सेवा है क्योंकि ईश्वर उन्हीं में निवास करता है। गरीबों की सेवा कर हम ईश्वर के और अधिक निकट जा सकते है। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॅा.प्रकाश शर्मा ने कहा कि स्वामीजी राष्ट्रवादी देशभक्त चिंतक थे।
प्रारम्भ में स्वामी विवेकानन्द सेवा न्यास की मंजुला बोर्दिया ने मंा अमितप्राणा का परिचय दिया। इस अवसर पर रामकृष्ण सेवा समिति की डॉ. विनया पेन्डसे व डॉ. लक्ष्मीनारायण नन्दवाना भी उपस्थित थे। श्रीमती बोर्दिया ने बताया कि कल 12 सितंबर को विधि महाविद्यालय में प्रात: साढ़े 11 बजे स्वामीजी के जीवन पर परिचर्चा होगी। मुख्य अतिथि सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आई. वी. त्रिवेदी होंगे।