संसाधनों के अत्यधिक दोहन से बढ़ा धरती का तापमान
राजस्थान विद्यापीठ वि.वि. की मेजबानी में अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार
udaipur. औद्योगीकरण, विकास, नगरीकरण एवं जनसंख्या की अधिकता के साथ साथ, वृक्षों, जलाशयों, नदियों, झीलों, पर्वतों तथा खेतिहर पशुओं का तीव्र गति से ह्वास हुआ। इसके कारण जलवायु, भूमि एवं ध्वनि प्रदुषण भी बढ़ा। साथ ही जनसंख्या की अधिकता का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
पर्यावरण का ह्वास होने के कारण जनसँख्या की कठिनाई भी बढ़ी है क्योंकि जनसँख्या वृद्धि एवं पर्यावरण का एक दुसरे से निकट सम्बन्ध है। पर्यावरण ह्वास के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ा, ग्लेशियर पिघले, समुद्र के जल स्तर का बढना, भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट. ओजोन परत पर प्रभाव, जीव-पादप प्रजातियों पर प्रभाव्, ठोस कचरा, कार्बन-डाई-ऑक्साइड, मीथेन की मात्रा बढने के कारण पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, ग्रीन हाउस प्रभाव प्रारम्भ हुआ, इन सबका कारण है धरती पर बढ़ती जनसंख्या। इन सभी को रोकने एवं पृथ्वी को बचाने हेतु हमें आज से ही व्यक्तिगत एवं सामूहिक रूप से प्रयास करने होंगे। जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ वि.वि. के भूगोल विभाग व् राजस्थान ज्योग्राफिकल एसोसिएशन की और से आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन में प्रमुख रूप से यह विचार सामने आये।
छः तकनीकी सत्र : आयोजन सचित डॉ. सुनीता सिंह ने बताया कि सेमिनार के दूसरे दिन कुल छः तकनीकी सत्रों के तीन सामानांतर सत्रों का आयोजन किया गया| इसमें से कुल 54 आमंत्रित व्याख्यान के साथ 35 मौखिक प्रस्तुतीकरण भी हुए|
इनके व्याख्यान रहे महत्वपूर्ण : ग्वालियर की महारानी लक्ष्मीबाई, महाविद्यालय के डॉ. एस.एस. तोमर ने कहा कि जल के लिए जो भी प्रबंधन किये जाएँ, उनका स्वरुप दीर्घकालीन हो, क्योंकि आने वाले समय में जल की महत्ता क्या होगी, इससे हम अनजान हैं| जोधपुर वि.वि. से आये डॉ. ललित सिंह झाला ने बताया कि भारतीय संस्कृति प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीना सीखाती है, ऋग्वेद में भी प्रकृति को देवी माना गया है| भारतीय संस्कृति में आयुर्वेद चिकित्सा सम्पूर्ण रूप से पर्यावरण पर निर्भर है, इस प्रकार पर्यावरण की शुद्धता के लिए वेदों में यज्ञ का महत्त्व है| उत्ताराखण्ड रूद्र प्रयाग महाविद्यालय के व्याख्याता बलराम सोलंकी कहते हैं कि केदारनाथ की पवन धरा पर जून में जो विनाशकारी त्रासदी आयी, यद्यपि प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता किन्तु उचित प्रबंधन एवं सरंचनात्मक ढांचागत सुधार द्वारा आपदा के प्रभाव एवं उससे होने वाले जन धन के नुक्सान को कम कर सकते हैं|
स्मृति व्याख्यान : सेमिनार में डॉ. विनीत कुमार चौधरी स्मृति व्याख्यान में मुख्या अतिथि लायन डॉ. द्वारका झालान द्वारा ज़िंदगी का साथ निभाता चला पर संयुक्त परिवार, पारिवारिक रिश्ते, खुशियों को बांटना, परिस्थिति को स्वीकार करना, सुख-दुःख बांटने के सम्बन्ध में उदहारण प्रस्तुत किये|
समापन समारोह-डॉ. सुनिता सिंह ने बताया कि समापन समारोह के मुख्य अतिथि वाटरमेन ऑफ इण्डिया मेगसेसे अवार्ड से सम्मानित तथा तरूण भारत संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह होंगे। अध्यक्षता यूआईटी चेयरमेन रूपकुमार खुराना करेंगे। विशिष्ट अतिथि राजीव गॉधी जनजाति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टी.सी डामोर होंगे । मुख्य वक्ता अमेरिका युनिवर्सिटी के प्रो. सी.एस. बालचन्दन होंगे।