दर्शन शास्त्र के विभिन्न सत्रों का आयोजन
Udaipur. अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के तीन दिवसीय 58वें अधिवेशन के दूसरें दिन मोहनलाल सुखाडिया विवि परिसर में पांच विभागीय शोध पत्रों का चार समानान्तर सत्रों में वाचन किया गया। विभिन्न चार सत्रों में तर्क और ज्ञान मीमांसा, तत्व मीमांसा, नीति दर्शन, समाज दर्शन एवं धर्म मीमांसा पर कई शोधार्थियों ने विभिन्न विषयों पर पत्रवाचन प्रस्तुत किए।
तर्क एवं ज्ञान मीमांसा – अधिवेशन की संयोजक डॉ. सुधा चौधरी ने बताया कि अधिवेशन के दूसरे दिन दो चरणों में विभिन्न् सत्र हुए जिसमें तर्क एवं ज्ञान मीमांसा सत्र के अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार शुक्ल एवं समन्वयक डॉ. निर्मल गर्ग की उपस्थिति में 20 से अधिक शोधार्थियों ने पत्रवाचन किये। इस दौरान शोधार्थियों ने ज्ञान के विभिन्न पक्षों पर दार्शनिकों के विचारों पर मंथन किया।
तत्व मीमांसा – भारतीय जीवन दृष्टि के तात्विक पक्षों पर तथा तत्व ज्ञान की वर्तमान उपादेयता पर प्रस्तुत किये गये शोध पत्रों में तत्व से संबन्धित चिन्तन को प्रम़ुखता से दर्शाया गया। मूल रूप से तत्व के बारे में मंथन करते हुए ईश्वर, आत्माएवं मृतयु को अंतिम सत्य बताया गया। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. डी. आर. भण्डारी एवं समन्वयक डॉ. जिनेन्द्र जैन के समक्ष करीब 20 से अधिक शोधार्थियों ने पत्र वाचन किया।
नीति दर्शन : उक्त सत्र में नैतिकता के संबन्ध में विभिन्न दार्शनिक पक्षों को प्रस्तुत किया गया, सत्र के अध्यक्ष डॉ. अरूण कुमार सिंह एवं समन्वयक डा कल्पना जैन के समक्ष नीति दर्शन पर 41 शोधार्थियों ने पत्र वाचन किये। नीति दर्शन में मानव जीवन से संबन्धित नीतिगत मूल्यों पर मंथन किया गया, मंथन के दौरान नीति के ज्ञान, व्यवहार एवं मूल्य आधारित चिन्तन को वांछनीय माना गया। इसके साथ ही पर्यावरण परक पक्षों से संबन्धित सम-सामयिक विचार किया गया।
समाज दर्शन – सामाजिक जीवन में वर्तमान जीवन में जो चुनौतियां समाझ झेल रहा हैं उनके बुनियादी कारण व समाधान कि दिशा में कैसे एक बेहतर समझ और दृष्टि को विकसित किया जाये इस पर विशेष रूप से केन्द्रित रहकर 20 से अधिक शोधार्थियों ने समाज दर्शन सत्र के अध्यक्ष डॉ. सत्यनारायण अबोटी एवं समन्वयक डॉ. प्रतिभा के समक्ष प्रस्तुत किये।
धर्म मीमांसा – तकनीकी सत्र के दौरान करीब 49 शोधार्थियों ने विभिन्न दाशर्निको द्वारा धर्म के क्षेत्र में तथा धर्म के बारे में की गई व्याख्याओं को अपने पत्र वाचन में प्रस्तुत किया। पत्र वाचन के साथ ही शोधार्थियों द्वारा प्रस्तुत विभिन्न पत्रों में धर्म के कई विश£ेषण, धर्म की मान्यताएं, उद्भव, पखसंगिकता आदि पर चिंतन किया। धर्म मीमांसा विभाग के अध्यक्ष डॉ. औतारलाल मीणा एवं समन्वयक डॉ. सीमा जालान ने शोधार्थियों के पत्रों को सुना।
पत्रवाचन के दौरान विभिन्न् सत्रों में शोधार्थियों ने आपस में सवाल-जवाब भी किये साथ ही सत्रों के अध्यक्ष एवं समन्वयक ने शोधार्थियों की जिज्ञासाओं को शान्त भी किया। उक्त सभी सत्रों में पत्र वाचन करने वाले सभी शोधार्थियों को अखिल भारतीय दर्शन परिषद द्वारा प्रमाण- पत्र दिये गये।
समापन कार्यक्रम आज – डॉ. सुधा चौधरी ने बताया कि अधिवेशन के तीसरे दिन समापन कार्यक्रम विवि के कला महाविद्यालय सभागार में आयोजित होगा जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में केन्द्रिय मंत्री, आवासन एवं शहरी गरीबी उन्नमूलन डॉ. गिरिजा व्यास, अध्यक्षता राजीव गांधी जनजाति विवि, उदयपुर के कुलपति टी.सी. डामोर एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रसिद्ध सामाजिक चिंतक एवं वरिठ पत्रकार, प्रो. रामशरण जोशी होगे। उन्होनें बताया कि समापन कार्यक्रम से पूर्व प्रातकालीन सत्र में अस्मिता एवं अन्यता, स्वामी विवेकानन्द का नव्यवेदान्त विषय पर समानान्तर संगोष्ठियाँ आयोजित होगी।