उदयपुर। मुंबई के प्रख्यात वास्तुविद् केसीआर तोषनीवाल ने कहा कि शोध एवं विज्ञान पर आधारित वास्तु शास्त्र में किसी भी भूखण्ड के चारों कोनों का काफी महत्व है। किसी भी कोने के कटने से होने वाले दुष्प्रभाव का सर्वाधिक असर उस मकान या भूखण्ड के स्वामी पर पड़ता है।
वे रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा रोटरी बजाज भवन में आयोजित ’वास्तुशास्त्र को अपनायें-जीवन को सकारात्मक बनाएं’ विषयक वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होनें कहा कि मकान का उत्तर-पूर्व का कटा होना उसमें निवासरत परिवारेों के लिए काफी घातक सिद्ध होता है। वास्तु के मकान पर पडऩे वाले के सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव का असर तेजी से नहीं वरन् धीरे-धीरे होता है। कोई भी यदि भूखण्ड क्रय करें उसमें यदि वह उत्तर-दक्षिण का भाग अधिक लम्बाई लिये हो तो वह क्रेता के लिए काफी शुभ रहता है।
उन्होंने कहा कि मंदिर इर्द-गिर्द चारों ओर बने हुए मकानों पर मंदिर के गुबंद की पडऩे वाली छाया शुभ नहीं रहती है। छत पर यदि दक्षिण-पश्चिम दिशा पर निर्माण कराया जाए तो श्रेष्ठ रहता है। वास्तु आम आदमी के लिए उपयोगी है। यदि आम आदमी ऑफिस व घर में दैनिक दिनचर्या को वास्तु के अनुसार उपयोग में लाया जाए तो जीवन को सकारात्मक बनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि उत्तर-पश्चिम में किया गया निर्माण विवादों में डालता है। मकान में दक्षिण-पूर्व का कोना खुला रहना चाहिए। व्यक्ति को वातावरण के अनुरूप कार्य करना चाहिए। वास्तुत शास्त्र कभी-कभी गृहों को भी ओवरटेक कर उसके परिणाम-परिमाण तक को बदल देता है।
तोषनीवाल ने बताया कि हिन्दू व जैन धर्म के मंदिरों के गर्भ गृह का अनुपात बराबर रहता है जो वहां की उर्जा का स्तर काफी श्रेष्ठ रहता है। जिस कारण मंदिरों की मूर्तियां भक्तों को अपनी ओर खींच लाती है। वास्तु के अनुसार घास, मिट्टी तथा चूने-पत्थर से निर्मित मकान श्रेष्ठ रहते है। इससे पूर्व क्लब अध्यक्ष बी. एल. मेहता ने कहा कि वास्तुत के अनुसार यदि मकान का निर्माण कराया जाएं तो भू-स्वामी के लिए लाभदायक रहता है। सचिव सुरेन्द्र जैन ने बताया कि क्लब द्वारा आगामी 2 जनवरी को नव वर्ष स्वागत समारोह तथा 14 जनवरी को अन्तर्राष्ट्रीय नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। प्रारम्भ में श्रीमती राजेन्द्र चौहान ने ईश वंदना प्रस्तुत की जबकि अन्त में महादेव दमानी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में उपस्थित सदस्यों ने तोषनीवाल से प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासाओं को शान्त किया।