– तेरापंथ प्रतिनिधि सम्मेलन में शामिल हुए उदयपुर से प्रतिनिधि
उदयपुर। आचार्य महाश्रमण ने कहा कि एक अच्छे कार्यकर्ता में सेवा भावना, सहिष्णुता और दक्षता होनी चाहिए। अगर ये तीनों उसमें हैं तो वह उत्तम कार्यकर्ता हो सकता है। श्रावक वही है जो प्रतिशोधगामी हो।
वे रविवार को नई दिल्ली में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के प्रतिनिधि सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। शुक्रवार को शुरू हुए तीन दिवसीय सम्मेलन में देश भर से सभा के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। आचार्य ने कहा कि कार्यकर्ता को तनावमुक्त रहना चाहिए। जो दूसरों के लिए खपता है, वही कार्यकर्ता कहलाता है।
उदयपुर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि आचार्य महाश्रमण ने कार्यकर्ताओं के तीन प्रकार बताए। निम्न वह जो काम कम करे और नाम अधिक की लालसा रखे। मध्यम वह जो काम भी करे और नाम की लालसा भी रखे और उत्तम कोटि का कार्यकर्ता वह है जो काम बहुत करे लेकिन नाम की लालसा न रखे। स्वयं तय करें कि किस तरह का कार्यकर्ता बनना है।
साध्वी प्रमुखा एवं संघ की महानिदेशिका साध्वी श्री कनकप्रभा ने सभा के प्रतिनिधियों को दर्पण की तरह अतीत एवं भावी योजनाओं का परिदृश्य बताने वाला बनने को कहा। कैनवास की तरह रेखाचित्र बन जाए, ऐसा प्रतिनिधि को बनना चाहिए। कुछ नया करने का उल्लास हर समय प्रतिनिधि में रहना चाहिए। आचार्य तुलसी का जन्म शताब्दी वर्ष हम मना रहे हैं। आचार्य ने विशेष परिस्थितियों में भी जागरूकता से समाज व देश को संबल प्रदान किया। बाल दीक्षा और भिक्षावृत्ति अधिनियम जैसी समस्याओं का महासभा ने सूझबूझ से समाधान किया है। साध्वी प्रमुखा ने महासभा को गुरु के आध्यात्मिक अनुशासन में चलने वाली यह एकमात्र संस्था का श्रेय दिया।
फत्तावत ने बताया कि उदयपुर की श्रीमती बसंत कंठालिया को उदयपुर की पहली उपासिका होने का गौरव प्राप्त हुआ जिस पर देश भर से आए श्रावक, प्रतिनिधियों ने स्वागत किया वहीं उदयपुर में सभा ने हर्ष व्यक्त करते हुए श्रीमती कंठालिया का अनुमोदन किया। सभा के संरक्षक शांतिलाल सिंघवी ने बताया कि उदयपुर तेरापंथ सभा द्वारा जन्म शताब्दी वर्ष में किए गए कार्यों का प्रतिवेदन जब सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने दिल्ली सम्मेलन में प्रस्तुत किया तो ओम अर्हम की ध्वनि से पूरा सभागार गूंज उठा। इस दौरान सभा के मंत्री अर्जुन खोखावत भी मौजूद रहे।