न्यायालय में दायर करेंगे अवमानना का वाद
उदयपुर। दक्षिण विस्तार योजना में सौ फीट सडक़ पर खातेदारी जमीन पर अदालत से स्टे के बावजूद वर्ष 1962 से कराये गये वैध स्थायी व अस्थायी निर्माण को गत शनिवार को न्यास दस्ते ने अवैध रूप से न्यायालय के आदेश की अवमानना कर ध्वस्त कर दिया।
मंगलवार को भूमि मालिक पंकज सरूपरिया ने पत्रकार वार्ता में न्यास अधिकारियों पर यह आरोप लगाया। सरूपरिया ने बताया कि प्रतापनगर से बलीचा मेन रोड पर दक्षिणी विस्तार योजना में सौ फीट पर उनकी खातेदारी राजस्व ग्राम सवीना खेडा की आराजी संख्या 1369 की 9000 वर्गफीट की आबादी भूमि है जिसका विवरण वर्ष 1962 में ग्राम पंचायत गोवर्धनविलास द्वारा जारी भू-विक्रय विलेख में भी दर्ज है। इस भूमि पर न्यास से निर्माण स्वीकृति मांगी तो उन्होंने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि यह क्षेत्र हमारे अधीन नहीं है, तत्कालीन नगर परिषद का है।
इस पर मेरे द्वारा नगर परिषद में निर्माण के लिए आवेदन किया तो उक्त एजेन्सी ने निर्माण स्वीकृति के लिए कार्यवाही करते हुए 3 नवम्बर 2009 को डवलपमेंट शुल्क के 11384 रुपए जमा किए। उसके पश्चात भी मुझे निर्माण स्वीकति जारी नहीं की गई। लगातार परिषद के चक्कर लगाने के बाद भी निर्माण स्वीकति नहीं मिली तो दोनों एजेन्सियों की कार्यवाही से त्रस्त हो कर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। न्यायालय ने मुझे सुनने के बाद 18 जनवरी 2010 को मूल वाद के निस्तारण तक मेरी जमीन पर यथास्थिति बनाये रखने के आदेश दिये। मूल वाद अभी तक लंबित है। न्यायालय में जाने के बाद नगरपरिषद ने मेरी फाईल को चलाते हुए 26 अक्टूबर 2012 को स्वीकृति जारी करने के एवज में 14968 रूपयें और लिये। उसके बाद भी मुझे अनुतोष नहीं मिला। इस बीच न्यास की ओर से एडीजे 3 में अधिनस्थ न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील की। न्यायालय ने न्यास की अपील को नामंजूर करते हुए अधीनस्थ न्यायालय के 18 जनवरी 2010 के फैसले को बहाल रखने के आदेश दिए।
सरूपरिया ने दावा किया कि जमीन के मालिक वे है ओर इसके बावजूद न्यास अतिक्रमण दस्ते ने शनिवार अलसुबह मेरी जमीन पर पहुंच कर कार्यवाही शुरू कर दी। जब मेरे कर्मचारियों ने मुझे इसकी जानाकरी दी तो तुरन्त वहां पहुंचा और मैने जमीन के दस्तावेज व न्यायालय के आदेश की प्रतियां दिखाई लेकिन उन्होनें यह कहते हुए कागज देखने के इन्कार कर दिया कि आपके पास जो आदेश व दस्तावेज है वे गोवर्धनविलास की जमीन के है। मैंने उन्हें बताया कि गोवर्धनविलास में मेरे पास कोई जमीन नहीं र्है। ये सम्पूर्ण दस्तावेज इसी जमीन आराजी सं.1369 के है। न्यास सचिव ने न्यायालय आदेश को देखने व मानने से इन्कार करते हुए 5 दशक पुरानी हमारे परिवार द्वारा कराये गये निर्माण को ध्वस्त कर दिया। न्यास सचिव ने पद का रूतबा दिखाते हुए यह कार्यवाही की। इसके खिलाफ अपर न्यायालय में अवमानना की कार्यवाही की जाएगी। शहर के रोड़ नेटवर्क में हमारी जमीन की आवश्यकता थी तो हम उन्हें बातचीत के आधार पर जमीन का कुछ हिस्सा जमीन के बदले जमीन भी देने को तैयार थे।