राजस्थान में पहली बार बिना ऑपरेशन हुआ काम
उदयपुर। गीतांजली मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के नेफ्रोलोजिस्ट डॉ. जी.के. मुखिया ने डायलिसिस रोगी 69 वर्षीय हंसनाथ शर्मा की एंजियोप्लास्टी द्वारा फिस्टुला के संकडे़पन को खोला। उन्होंने बताया कि यह राजस्थान में पहली बार की गई ऐसी एंजियोप्लास्टी है जो कि बिना ऑपरेशन की गई।
डॉ. मुखिया ने बताया कि मरीज की दोनों किडनी खराब है जिसके चलते मरीज का पिछले छह महीनों से डायलिसिस चल रहा है। अब तक डायलिसिस, रोगी की गर्दन की नस द्वारा कैथेटर लगाकर किया जा रहा था जिसमें रक्त प्रवाह एवं गति उचित नहीं हो पाने के कारण डायलिसिस पूर्ण रूप से नहीं हो पा रहा था। इसके लिए रोगी ने पूर्व में बायें हाथ में फिस्टुला बनवाया था जो कि पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाया था। डॉ. मुखिया ने बताया कि वैसे किसी भी फिस्टुला को विकसित होने में एक माह का समय लगता है किन्तु रोगी में तीन माह बाद भी फिस्टुला विकसित नहीं हो पाया। इसके लिए डॉ. मुखिया ने मरीज के बांये हाथ में बनी फिस्टुला की एंजियोग्राफी द्वारा जांच की। जिसके दबाव की वजह से रक्त संचरण में बाधा आ रही थी। जांच में पता चला कि रक्त प्रवाह में बाधा की वजह फिस्टुला की नस में संकडापन है। इसके उपचार के लिये डॉ. मुखिया ने फिस्टुला को बलुन एंजियोप्लास्टी द्वारा खोला जो कि बिना सर्जरी किये किया गया। इस सर्जरी में नस को बलून से फूलाया गया व फिस्टुला को चौड़ा किया गया। यह राजस्थान का पहली सफल फिस्टुला एंजियोप्लास्टी है। उपचार के बाद मरीज की डायलिसिस प्रक्रिया सुचारू रूप से हो रही है।
डॉ. मुखिया ने बताया कि आमतौर पर फिस्टुला के काम ना करने की स्थिति में ऑपरेशन कर नया फिस्टुला बनाया जाता है, किन्तु उन्होंने नया फिस्टुला नहीं बनाकर फिस्टुला एंजियोप्लास्टी द्वारा उसके संकडेपन को खोल दिया। उन्होंने बताया कि नया फिस्टुला विकसित होने में एक माह तक का समय लगता है अपितु फिस्टुला एंजियोप्लास्टी में समय की बचत होती है।