गीतांजली हॉस्पिटल में हुआ आंखों का ऑपरेशन
उदयपुर। गीतांजली हॉस्पिटल के नेत्र रोग विभाग में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. ऋषि मेहता ने दो बच्चों की आंखों की ज्योति लौटाकर परिवार को नए साल का तोहफा दिया। गीतांजली द्वारा आयोजित निशुल्क नेत्र रोग चिकित्सा शिविर में गंगापुर से आया नेत्र रोगी नारूलाल (8 वर्ष) पुत्र छोगालाल को जन्म के एक माह बाद ही आंखों से बिल्कुल दिखाई देना बंद हो गया।
डॉ. मेहता ने जांच के बाद पता लगाया कि बच्चे की दोनों आंखों में डेवलेपमेन्ट केटरेट नामक बीमारी है, जिसकी वजह से उसे पूरी तरह दिखना बन्द हो गया था। इसके लिए मोतियाबिन्द का ऑपरेशन करना अनिवार्य था। डॉ. मेहता ने बताया कि बच्चे का फेको पद्धति से वर्तमान में एक आंख का ऑपरेशन किया है तथा दूसरी आंख का सप्ताह भर में ऑपरेशन होगा। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के बाद बच्चे की आंख की पट्टी हटाते ही बच्चा अपने मां-बाप को देखकर खिलखिलाकर हंसा। उसके बाद जब उसने पहली बार खुद को देखा तो उसकी आंखों से खुशी के आंसू छलक गए। रोगी के पिता ने बताया कि वह मजदूरी करता है, इसलिए अपने बच्चे का उपचार नहीं करा पा रहा था। निःशुल्क शिविर में उसके बच्चे का उपचार पूरी तरह निःशुल्क हो गया। उसने बताया कि बच्चा स्कूल जाता है पर पढ़ाई नही कर पाता था लेकिन अब बच्चा पढ़ाई कर पाएगा। डॉ. मेहता ने बताया कि इसी तरह एक दूसरा बच्चा गांव छितरेती जिला डूंगरपुर निवासी आशीष उम्र सात साल पुत्र हिरालाल को डेवलेपमेन्ट केटरेट नामक रोग था, जिसमें उसे रात को धुंधला दिखाई देता था और दिन में वह पूरी तरह दृष्टिहीन हो जाता था। उन्होंने बताया कि इस बच्चे की दोनों आंखों में मोतियाबिन्द था। रात में आंख की पुतली के फेलने पर उसे थोडा-थोडा धुंधला दिखाई देता था और दिन में पुतली के सिकुड़ने पर पूरी तरह दिखना बन्द हो जाता था। इस बच्चे का भी फेको पद्धति से एक आंख का ऑपरेशन किया जा चूका है और एक का सप्ताह भर में होगा। इसे भी एक आंख से दिखाई देने लग गया है। गीतांजली द्वारा आयोजित निःशुल्क शिविर में उपचार के बाद बच्चा पूरी तरह देख पा रहा है।