उदयपुर। सोसायटी फॉर माइक्रोवायता रिसर्च एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन के सदस्यों ने नियमित सर्वेक्षण में उदयपुर शहर से 15 किलोमीटर दूर भीलों का बेदला गांव के एक खेत में एक नव चक्रिक सेमल वृक्ष देखा।
खेत के मालिक देवीलाल ने बताया कि पहले वहां केवल एक ही सेमल का वृक्ष था जिसे उन्होंने होली के लिए काट दिया था परन्तु अगले वर्ष वहां नौ तने वाला सेमल विकसित हुआ और आश्चर्यचकित होकर उन्होंने इसे ईश्वर की कृपा मानते हुए कभी नहीं काटने का संकल्प लिया। सोसायटी अध्यक्ष डॉ एसके वर्मा ने बताया कि इस सेमल वृक्ष की नव चक्रों के रूप में पुनरुत्पयत्ति इस वृक्ष की जिजीविषा को प्रदर्शित करता है और यह वृक्ष अभी फूलों से लदा हुआ है। उन्होंने कहा कि इन नव चक्रों की तुलना मानव शरीर में उपस्थित नव ग्रंथि चक्रों से की जा सकती है और शायद इन्हीं कुछ कारणों से सेमल वृक्ष को आध्यत्मिक वृक्ष माना गया है. सेमल वृक्ष धनात्मक माइक्रोवयता को आकर्षित कर आस-पास के वातावरण को मानसा-आध्यत्मिक साधना के लिए शुद्ध करता है और इसीलिए पंचवटी के पांच मुख्य वृक्षों में इसका स्थान है.
सोसायटी सचिव डॉ. वर्तिका जैन ने जानकारी देते हुए बताया की उदयपुर शहर के आसपास चिरवा घाटी, देसूरी, केवड़े-की-नाल जैसे कुछ ही स्थान बचे हैं जहाँ गिनी-चुनी संख्या में सेमल वृक्ष दिखाई देते हैं. ऐसे में एक नव चक्रिक सेमल वृक्ष का दिखाई देना सभी पर्यावरण प्रेमियों के लिए अत्यंत हर्ष का विषय है. सोसाइटी सदस्य डॉ सुभाष वशिष्ट ने कहा की औषधीय और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण सेमल वृक्ष की संख्या उदयपुर शहर में होली पर अधिक कटाई होने से बहुत कम रह गयी है. अतः सोसाइटी सेमल सरंक्षण अभियान के तहत सेमल के पौधे विकसित कर इसे विभिन्न स्थानों पर प्रत्यारोपित करने को प्रयासरत है, और इसका लाभ इच्छुरक व्यक्ति ले सकते हैं।