उदयपुर। सैकड़ों की तादाद में बनने वाली देवी, गणेश प्रतिमाओं एवं ताज़ियों के विसर्जन के लिए अम्बापोल सीवरेज पम्प हाउस के एक हिस्से में बनाया टैंक खानापूर्ति मात्र है। रविवार को झील संरक्षण डॉ. अनिल मेहता, झील मित्र संस्थान के तेजशंकर पालीवाल व रमेशचन्द्र राजपूत एवं डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल के नन्द किशोर शर्मा ने विसर्जन टैंक को नापा। टैंक मात्र बयालीस फ़ीट लम्बा, बाईस फ़ीट चौड़ा तथा पांच फ़ीट गहरा है।
झील प्रेमियों ने इसे राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण तथा उच्च न्यायालय की आंखों में धूल झोंकने का प्रक्रम बताया। जहां टैंक बनाया गया, वहां पहुंचने का रास्ता भी संकरा है। ऐसे में तीन चार धार्मिक संस्थान भी यदि एक साथ पहुंच गए तो आम्बापोल व अम्बामाता तक भारी अव्यवस्था फ़ैल जाएगी। अंततोगत्वा लोग झीलों में विसर्जन करके चले जाएंगे। टैंक की साइज तो विस्मयकारी है ही, स्थल का चयन भी गलत है, टैंक की साइज भी हास्यास्पद है।
झील प्रेमियों ने यह भी पाया कि परिसर स्थित सीवरेज पम्प हाउस में लीकेज से सीवरेज टैंक व झील का जल बराबर स्तर पर है। पम्प चलाने पर झील का पानी भी सीवरेज के साथ सीवरेज लाइन में जा रहा है। दुर्दशाग्रस्त सीवरेज टैंक के पास ही धार्मिक प्रतीक विसर्जन स्थल को बनाना भी प्रश्न चिन्ह खड़े करेगा। संवाद पूर्व पिछोला के हनुमान घाट पर झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्रमदान द्वारा झील क्षेत्र से पोलिथिन, घरेलू कचरा, शराब कोल्ड ड्रिंक की बोतलें, जलीय घास व पूजन सामग्री को बहार निकाला। श्रमदान में विक्रमादित्य सिंह चौहान, रमेशचन्द्र राजपूत, रामलाल गेहलोत, ललित पुरोहित, अजय सोनी, भावेश, प्रियांशी, गरिमा कुमावत, हर्षुल, बीएल पालीवाल, कुलदीपक, तेज शंकर पालीवाल, डॉ अनिल मेहता व नन्द किशोर शर्मा ने भाग लिया।