निराहार रहकर मनाया खाद्य संयम दिवस
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के पर्यूषण आरंभ
उदयपुर। शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने कहा कि पर्वाधिराज पर्यूषण आज से शुरू हो गए हैं। सिर्फ स्थानकों और घरों में ही नहीं, पर्यूषण का असर स्वयं के मन पर भी दिखना चाहिए और इसका पता दूसरों को भी लगना चाहिए कि वाकई में पर्यूषण का पालन कर रहे हैं। प्राकृत भाषा से लिया गया शब्द परि और उषण यानी विषेष रूप से आत्म निवास करना। मोह माया में समय बिताने वाले इस दौरान भीतर में निवास करते हैं।
वे श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के गुरुवार से आरंभ हुए पर्वाधिराज पर्यूषण के पहले दिन धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। पहले दिन खाद्य संयम दिवस पर उन्होंने कहा कि संयम से खाना चाहिए असंयम से नहीं। भूख नहीं लगना एक बीमारी है तथा भूख अधिक लगे तो भी बीमारी है। नींद उड़ाने के लिए साधना जरूरी है। उन्होंने वैदिक और श्रमण संस्कृति में अंतर बताते हुए कहा कि श्रमण संस्कृति व्यक्ति आधारित नहीं है। श्रमण संस्कृति के अनुसार हर आत्मा ही परमात्मा है। हर आत्मा में विकास की संभावना है। भगवान महावीर ने अपने अपने कर्मों के अनुसार श्रेणियां निर्धारित की। विकास की अनंत संभावनाएं हैं। वेदों में भी भगवान ऋषभदेव का उल्लेख किया गया है। आंतरिक जीवन को बदलें, कषायों-विकारों का हल्कापन लाएं। इस बदलाव को अपने जीवन में उतारें। अपनी जीवनधारा को इन आठ दिनों में बदलने का प्रयास करें। इन दिनों में नौ द्रव्यों से अधिक काम में नहीं लें।
मुनि दीप कुमार एवं मुनि सुधाकर ने भी खाद्य संयम पर विचार व्यदक्तर किए। सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने निराहार रहकर उपवास किए जिनके राकेष मुनि ने प्रत्याख्यान कराए। प्रारंभ मंं शषि चव्हाण ने मंगलाचरण किया। तेरापंथ सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने स्वागत करते हुए कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला। संचालन मंत्री सूर्यप्रकाष मेहता ने किया। कार्यक्रम का आरंभ राकेष मुनि के नवकार मंत्र के उच्चारण से हुआ।
तेरापंथी सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि पर्यूषण पर्व में प्रतिदिन 9.30 से 11 बजे तक व्याख्यान होगा। इस दौरान प्रतिदिन तीन सामायिक, दो घंटे मौन, एक घंटा स्वाध्याय, नौ द्रव्यों से अधिक खाने का त्याग, जमीकंद का त्याग, ब्रह्चर्य का पालन, श्रमणोपासक साधना का पालन, जप में संभागी बनने, रात्रि भोजन का परित्याग तथा आधा घंटा ध्यान एवं एक घंटा जप प्रयोग किए जाएंगे। फत्तावत ने बताया कि शुक्रवार को स्वाध्याय दिवस के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि 23 अक्टूबर से आचार्य प्रवर महाश्रमण के दर्षनार्थ विराट नगर नेपाल के लिए सभा की ओर से स्पेषल ट्रेन ले जाई जाएगी। इसका पंजीयन जोर-षोर से चल रहा है।
तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष दीपक सिंघवी ने बताया कि रात्रिकालीन स्पर्धाएं होंगी। इसके अलावा परिषद ने रक्तदाताओं का डेटा एकत्र करना शुरू कर दिया है जिसकी एक डायरेक्ट्री निकाली जाएगी।
हर जीव को अभयदान दें: श्रद्धांजना श्रीजी
साध्वी श्रद्धांजना श्रीजी ने कहा कि जैनियों की पहचान उनकी जीवन शैली है। जिस तरह संयमित जीवन एवं अहिंसा का पालन करते हुए जैन जीवन जीते हैं, उसी कारण वे पहचाने जाते हैं। जैनियों का प्रथम कर्तव्य है कि उन्हें प्रत्येक जीव को अभयदान देना चाहिये।
वे गुरुवार को वासुपूज्य मंदिर में पर्वाधिराज पर्यूषण के पहले दिन धर्मसभा को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि राजनेताओं की तरह जैन धर्म के आचार्य व गुरु भगवंत नहीं हैं कि जो गरीबी हटाओ-देश बचाओ के नारे दें। जैन धर्मी आत्म बलिदान के लिए हर समय तैयार रहते हैं। जैनी अपने तिलक को अमर रखने के लिए हर समय तत्पर रहते हैं। माथे पर लगे तिलक की रक्षा के लिए अनेक जैन धर्मावलम्बियों ने राजा अजयपाल के आदेश पर आत्म बलिदान कर दिया। इनमें 19 नवदंपती भी शामिल थे। इस बलिदान को देखकर राजा अजयपाल ने तिलक की रक्षा कर सभी जैनियों को अभयदान दिया और कहा कि जैनी कभी धोखा नहीं देता। वह हिंसा नहीं कर सकता। यह जैनियों की ताकत थी लेकिन अफसोस कि आज जैनियों की ताकत समाप्त हो रही है। उन्होंने कहा कि विदेश में जैनियों की साख हम स्वयं ने तोड़ी है। देश में कुछ पुण्यात्माओं के कारण कुछ साख बची हुई है।
उन्होंने कहा कि महिलाएं ही गर्भ में पल रही शिशु की हत्या करवाती है। इस पर साध्वी श्री के मार्मिक प्रवचनों के दौरान महिलाओं की आंखें भर आई। ट्रस्ट के प्रतापसिंह चेलावत ने बताया कि पर्यूषण के पहले दिन गुरुवार को सुशीला-गजेन्द्र भंसाली, उषा-नरेन्द्र एवं निपिका-दीपक भंसाली की ओर से प्रभावना वितरित की गई वहीं आंगी की भक्ति प्रवीणा बेन मणिलाल डागा परिवार की ओर से की गई।
ट्रस्ट सचिव राज लोढ़ा एवं सह सचिव दलपत दोशी ने बताया कि शुक्रवार को कल्पसूत्र चढ़ावा, रात्रि जागरण, 5 ज्ञान व अष्ट प्रकार की पूजा होगी। प्रभावना विनोद कुमार, विपुल कुमार, मुकेश, आयुष चेलावत परिवार की ओर से वितरित की जाएगी। शनिवार से कल्पसूत्र बोहराना का वाचन आरंभ होगा।
जीवदया, क्षमापना को प्राथमिकता दें : सोमसुन्दर
आचार्य विजय सोमसुन्दर सुरीश्वर महाराज ने कहा कि प्रत्येक जैनी को जीवदया, सहधार्मिक वात्सल्य एवं क्षमापना को प्राथमिकता देनी चाहिये। वे आज श्री जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ जिनालय द्वारा हिरणमगरी से. 4 स्थित शंातिनाथ सोमचन्द्र सूरी आराधना भवन में पर्युषण पर्व के प्रथम दिन आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि श्रावक-श्राविका को अट्ठम तप एंव चैत्य परिपाटी का भी पालन करना चाहिये। उन्होंने कहा कि हीर सूरी महाराज द्वारा जैन दर्शन प्रतिबोधित करने पर मुगल सम्राट अकबर से पर्युषण पर्व पर 10 दिनों के लिए जीव हिसंा बंद करवा दी थी। उन्होंने कहा कि अपने कट्टर विरोधी से भी क्षमायाचना करने पर आपसी वैमनस्य दूर हो कर आपस में सौहाद्र्ध उत्पन्न होता है। यह इस पर्व की अनुपम विशेषता है।