मैत्री दिवस पर पांच हजार से अधिक श्रावक-श्राविकाओं ने किए पारणे
दिन भर चला खमतखामणा का दौर
उदयपुर। शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप की आराधना के महापर्व पर्युषण के अंतिम दिन कहा कि सब जीवों को मैं क्षमा करता हूं तथा सभी मुझे क्षमा करें। किसी से मेरा बैर-भाव नहीं, अगला व्यक्ति करे या न करे हमें आगे होकर क्षमायाचना करनी चाहिये। अतीत को भूलना आवश्यक है, क्षमा वीरों का आभूषण है।
वे श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में पर्यूषण के अंतिम दिन मैत्री दिवस पर खमतखामणा करते हुए धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि क्रोध, मान, माया, लोभ अहंकार के लेखेजोखों को टटोल कर क्षमा लेना एवं क्षमा देना दोनों ही महत्वपूर्ण कार्य है। हर प्राणी मात्र के प्रति करूणा का भाव रखे क्षमा से विनम्रता, सरलता तथा ऋजुता आएगी। मुनि सुधाकर एवं मुनि दीप कुमार ने भी क्षमायाचना के महत्व पर प्रकाश डाला। इससे पूर्व संवत्सरी महापर्व के प्रतिक्रमण के बाद सभी ने एक दूसरे को खमतखामणा कहकर आपस में क्षमायाचना की। सुबह से आरंभ हुआ खमतखामणा का दौर दिनभर चला। अपनों से मन, वचन, काया से खमत् खामणा करते रहे। दूर बैठे मित्रों एवं रिश्तेदारों से एसएमएस व मोबाइल के जरिए क्षमा मांगी गई।
इससे पहले नेपाल स्थित विराट नगर में विराजित आचार्य प्रवर श्री महाश्रमण से त्रिपदी वंदना करते हुए क्षमायाचना की गई। सभा अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने सर्वप्रथम आचार्य महाश्रमण, साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा, तथा यहां विराजित शासन श्री मुनि राकेश कुमार, मुनि सुधाकर एवं मुनि दीप कुमार से मन, वचन एवं काया से खमतखामणा की। इस अवसर पर संरक्षक शांतिलाल सिंघवी, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष दीपक सिंघवी, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष चन्द्रा बोहरा, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष बीपी जैन, ज्ञानशाला संयोजक फतहलाल जैन, अणुव्रत समिति के कार्यकारी अध्यक्ष अरूण कोठारी ने भी धर्मसभा को संबोधित करते हुए खमतखामणा की।
संचालन सूर्यप्रकाश मेहता ने किया। आभार उपाध्यक्ष अर्जुन खोखावत ने जताया। अन्त में मुनिश्री के मंगल पाठ से कार्यक्रम का समापन हुआ।