प्राणायाम की प्रार्थना
प्राचीन समय से भारतीय जन मानस में योग के प्रति रुझान रहा है। यही कारण रहा कि आर्यावर्त 33 करोड़ की आबादी देवतुल्य जीवन जीती थी, सो हमने आज तक मान लिया कि देवता 33 करोड़ होते हैं।
हकीकत में ये देवता मनुज थे जो देवतुल्य जीवन जीते थे। इस देवत्व की आधार भूमि योग थी। योगिक जीवन भीतर- बाहर से निर्मल होता है, वही निर्मलता व्यक्ति के जीवन के हर क्रिया कलाप में प्रकट होती है। इसी योगत्व को प्राप्त करने के साधन रूप में महर्षियो ने उपनिषदो की संरचना की थी जिन्हें महर्षि वेदव्यास ने 108 भागों में प्रस्तुत किया। उपनिषद गुप्त ज्ञान इन 108 उपनिषदो में योगपरक भी हैं। शाण्डिल्योपनिषद्, योग तत्वोपनिषद्, नादबिन्दु उपनिषद्, ध्याजनबिन्दु उपनिषदं, षटचक्रोपनिषद्, योगकुण्डल्यूपनिषद्, योग चूडामणि उपनिषद्, योग राजोपनिषद्, हंसोपनिषद। ये उपनिषदें योग की विभिन्न धाराओं का बहुत लालित्य पूर्ण विश्लेषण प्रस्तुत करती है। जीवन को सर्वांग सुन्दर समुन्नत स्वस्थ बनाने के अनेक योग वीथियों का क्रमबद्ध जानकारी प्रस्तुत करती है।
कर ले तू प्राणायाम
कर ले तू प्राणायाम, सब रोग दूर हो जाएगा ।
रोना नहीं होगा, जीवन खुशियों से भर जाएगा ।।
जीवन तुम्हारा दुर्भर है आज, कल तू ही इतराएगा।
आज तुझे विश्वास नहीं, कल दुनिया को बतलाएगा ।।
करले तू प्राणायाम ….
पांच मिनट भस्त्रिका कर ले, रक्त शुद्ध हो जायेगा ।
सर्दी जुकाम एलर्जी दूर, मन स्थिर हो जायेगा।।
पन्द्रह मिनट कपालभांती कर, मुखमंडल तेज हो जायेगा।
गैस कब्ज, मधुमेह सहित, मोटापा दूर हो जाएगा ।
कर ले तू प्राणायाम ….
पांच बार बाह्य प्राणायाम कर, चंचलता दूर हो जायेगा।
उदर रोग सब दूर होकर, जठराग्नि प्रदीप्त हो जायेगा।।
दस मिनट अनुलोम-विलोम कर, सिरदर्द ठीक हो जायेगा।
नकारात्मक चिन्तन से दूर, आनंद, उत्साह बढ़ जायेगा।।
कर ले तू प्राणायाम ….
ग्यारह बार भ्रामरी कर, सब तनाव दूर हो जायेगा।
रक्तचाप हृदय रोग सहित, उत्तेजना मिट जाएगा ।।
इक्कीस बार ओंकार जनकर, अनिद्रा रोग ठीक हो जायेगा।
बुरे स्वप्नों से छुटकारा पाकर, ध्यान तेरा लग जायेगा ।।
कर ले तू प्राणायाम ….
तीन बार नाड़ी शोधन कर, रक्त संचार ठीक हो जायेगा।
बहरापन, लकवारोग मिटे, ऑक्सीजन बढ़ जायेगा ।।
पांच बार उज्जायी कर, गला मधुर हो जायेगा।
सर्दी जुकाम सहित, हकलाना, ठीक हो जायेगा ।।
कर ले तू प्राणायाम ….
ग्यारह बार शीतकारी कर, पायरिया दूर हो जाएगा।
दंत रेाग दूर होकर, शीतल शरीर हो जायेगा।।
ग्यारह बार शीतली कर, भूख प्यास मिट जायेगा।
मुंह गले के रोग सहित, पित्त रेाग मिट जायेगा ।।
कर ले तू प्राणायाम ….
तीन बार सिंहासन कर ले, दर्द गले का ठीक हो जायेगा।
अंत में हृस्यासन कर ले, हंसते जीवन बीत जायेगा।।
कर ले तू प्राणायाम, सब रोग दूर हो जाएगा।
रोना नही होगा, जीवन खुशियों से भर जाएगा।।
ओ३म् शान्ति ओ३म् शान्ति