राम कथा का पांचवा दिन
रामदेवरा। शिष्य भाव में श्रद्धा से जुड़े हाथ, झुकी पलकों में अनन्य आशीष का आग्रह, होंठो पर समुधर गुणगान और मन में अथाह प्रेम भक्ति की गंगधार। बाबा रामदेव की नगरी रामदेवरा में मुरारी बापू की रामकथा के पांचवे दिन यही भाव साकार हुआ। पांचवे दिन प्रातः आठ बजें से ही जन समुदाय का महारैला उमड़ पड़ा। जिसे देखो, वही राममय नजर आया। अपार भीड़ क्या महिलायें, क्या पुरूष, क्या युवा, क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग सभी रामकथा स्थल की ओर बढ़ते नजर आए।
व्यासपीठ से हजारों श्रोताओं को सत्य की महत्ता बताते हुए बापू ने कहा कि सत्य हमेषा हरा भरा होता है। प्रेम चल और अचल होता है। चल रूप में प्रेम हमेषा बढ़ता है लेकिन अचल रूप में कभी कभी मूर्छा आ जाती है। करूणा सदैव चल होती है और हमेषा बहती रहती है। सत्य के साथ जो जुड जाता है वह सच्चा होता है। इंसान क्या सोचता है और क्या करता है, इसके साक्षी भगवान सूर्य है।
बापू ने कहा कि जीवन की रामकथा में सबसे बड़ा असुर मोह है। मोह विस्तारित षब्द है। रावण को जितना प्रभाव मिलता गया उसकी अपेक्षायें उतनी ही बढ़ती गई और वह रावण बन गया। दस मुंहों वाला रावण भले ही मर गया हो लेकिन षिवभक्त, साधक, विद्वान, कवि के रूप में रावण अजर व अमर है।
बाबा रामदेव पीर के जीवन पर प्रकाष डालते हुए बापू ने कहा कि बाबा रामदेव भगवान कृश्ण के अवतार है। कृश्ण के साथ जो जो घटना घटी वही बाबा रामदेव के साथ भी घटित हुई। इस्लाम धर्म को मानने वालों ने बाबा को अलग रूप में देखा। बाबा रामदेव ने अछूतों का उद्धार इस रूप में किया कि श्रेश्ठों का भी कभी अपमान नही हो। फरेब को रामदेव पीर टिकने ही नही देते है। बापू ने रामकथा के दौरान नामकरण संस्कार, यज्ञोपवित संस्कार, गुरू विश्वाकमित्र और प्रभु राम, अहिल्या उद्दार प्रसंगों को दर्शाया। बापू ने कहा कि धर्म स्तम्भ जैसा महान स्तम्भ कोई नही है।
भक्ति रूपी भाव में असत्य भी भूशण है। अनुकूलता, आकर्शण और आत्मीयता जीवन की सत्य एवं काम प्रेरक वस्तु है। इच्छायें कामनाओं को जन्म देती है। आत्मीयता रस वृद्धि का कारण बनती है लेकिन यही आत्मीयता महारस की ओर ले जाये तो बेड़ा पार हो जाता है। दूसरों के प्रति द्वेश, ईर्श्या या निन्दा ना हो तो साधक को कोई साधना करने की जरूरत ही नही पड़ती है। निन्दा आज व्यसन नही ष्वसन हो गया है। दूसरों से ईर्श्या करना महा पाप है।
समग्र राष्ट्रस हिताय समग्र राष्ट्रन सुखाय
केन्द्र सरकार की ओर से 500 और 1000 के नोट बंद करने के निर्णय पर बापू ने कहा कि देषहित में जो भी निर्णय होते हैं, वह सबको स्वीकार्य होना चाहिए। सामान्यजन को नुकसान ना हो, इसके लिए जो उपाय सरकार ने अपनायें है उनकों और सरल बनाया जाना चाहिए। सामान्यजन के पसीने की कमाई व्यर्थ ना जाए इसे विशेष ध्यान में रखा जाए।
आज के कार्यक्रम : रामकथा के तहत आयोजित सांस्कृतिक संध्या में गुरूवार षाम को 6 बजें कथा स्थल प्रांगण में प्रसिद्ध गायिका अलका ठाकुर और राजस्थानी संगीत का जलवा बिखेरने वाले लंगा मणियार ग्रुप के हासन खां एवं पार्टी अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगे।