उदयपुर। भारतीय संस्कृति एवं सामाजिक व्यवस्था के सशक्तिकरण के लिए महिलाओं की सक्रिय भागीदारी एवं जागरूकता आवश्यक है। महिलाओं के जागृत होने से ही भावी पीढी को सुसंस्कारित किया जा सकेगा एवं सुसंस्कारित भावी पीढी ही देश को मजबुत बनाने मे भागीदारी निभाएगी। ये विचार गीता ताई घुंडे अखिल भारतीय महिला समन्य प्रमुख ने चित्तौड प्रांत की उदयपुर मे आयोजित महिला समन्य बैठक के उदघाटन सत्र मे अपने मुख्य व्यक्तव मे व्यक्त किये।
उन्हांेने कहा कि महिलाआंे मे शिक्षा, समझ एवं जागरूकता बढी है इसी का परिणाम है कि देश के हर क्षेत्र मे महिलाएं अग्रणी भूमिका निभाते हुए नेतृत्व कर रही हैं।
चित्तौड प्रान्त की महिला समन्यक प्रमुख रजनी डांगी ने बताया कि उद्घाटन एवं समापन सत्र के प्रभावी उद्बोधन मे ताई जी ने कहा कि मातृशक्ति को अधिकाधिक जोडने व तराशने के लिए केन्द्रीय स्तर पर समस्त महिलाओं के प्रशिक्षण की व्यापक योजना बनाई जाएगी।
प्रथम सत्र मे क्षेत्रिय संघ चालक डाॅ0 भगवती प्रसाद शर्मा ने आर्थिक क्षेत्र मे महिलाओं के योगदान की प्रभावी भूमिका बताते हुए कहा कि परिवार मे समन्वय से ही आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है एवं इस व्यवस्था में महिलाओं का अनुभव ही उपयोगी साबित होता है। विशेष कर ग्रामीण परिपेक्ष्य मे महिलाएं कृषि , सहकारिता इत्यादि कार्यो के साथ ही सामाजिक व्यवस्था मे भी पूर्ण भागीदारी निभाती हैं ताकि साथ ही सामाजिक समरता मे भी महिलाआंे की ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारी हैं।
इस प्रान्तीय बैठक का उद्घाटन गीता ताई, रजनी डांगी एवं भगवती प्रसाद ने भारतमाता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्लन कर किया प्रारम्भ में स्वागत उद्बोधन में रजनी डांगी ने बताया कि इस बैठक में चित्तौड़ प्रान्तीय 7 विभाग कोटा,बांरा,उदयपुर,बांसवाड़ा, अजमेर,चित्तौड़, भीलवाड़ा से 22 संगठनों की 176 महिलाओं ने भाग ले कर अपने-अपने विभाग में हुए कार्यो विस्तृत विवरण दिया। बैठक मंे भावी कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की गई। संचालन कुसुम बोरदिया एवं धरा गुप्ता ने किया। आभार रजनी डांगी ने ज्ञापित किया।