सत्य ना भी मिले मगर सत्य खोजने की प्यास रखनी होगी
उदयपुर। श्रमण संघीय आचार्य डाॅ. शिवमुनि महाराज ने कहा कि सत्य की खोज करने पर भी वह न मिलें लेकिन उसकी खोज करने प्यास रखनी होगी, खोज की प्यास गहरी होने पर मरूस्थल में भी पानी मिल सकता है।
वे आज महाप्रज्ञ विहार शिवाचार्य समवसरण में श्रद्धालुओं को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान का एक छोटा सा सूत्रा आपके जीवन का रूपान्तरण कर सकता हैं। भगवान कहते है कि सत्य की शुरूआत स्वयं से करें और सत्य मिल जाए तो सभी जीवों पर करूणा करें। जैसे मंदिर में प्रतिमा न हो तो वह मंदिर बेकार है वैसे ही जीवन में सत्य नहीं है तो जीवन बेकार हैं। सत्य समुह में नहीं पाया जा सकता है। सत्य अकेले में एकांत साधना करने से मिलता हैं। सत्य की खोज सबकी अपनी-अपनी होगी। मार्ग सबका अलग-अलग हो सकता है,लेकिन अंत में सभी एक जगह ही पहुचोगें।
आचार्यश्री ने कहा कि सत्य के मार्ग में अनन्त बाधाएं आती है। सत्य पाने के लिए आपकी परीक्षा भी होगी लेकिन संघर्ष करने पर वह एक दिन निश्चित रूप से मिलेगा।सत्य की खोज करने में भगवान् महावीर को साढ़े बारह वर्ष लग गए। हम सभी को मालूम है कि कठिनाई आएगी लेकिन सत्य अवश्य मिलेगी बशर्ते स्वयं पर विश्वास रखना होगा। प्रेम, मैत्री, और करूणा तीनों शब्दों का अहसास बहुत है लेकिन तीनों में अन्तर जमीन-आसमान का है। प्रेम में विकृति आ सकती है लेकिन मैत्री में नहीं। प्रेम हम एक दो से कर सकते है। करूणा महापुरूषों में होती है। भगवान महावीर को चण्डकोशिक सर्प डंक मारता है और दूध की धरा बहती है। यह महावीर की करूणा हैं। मैत्री जीवन में आ जाए तो जीवन सार्थक समझें। इस प्रकार के प्रयास करना चाहिये कि मैत्री का झरना हमारंे भीतर प्रस्फुटित हो। अनाथ, असहाय, पीड़ित और दुःखी को देखकर अगर आपका हृदय द्रवित होता है तो भगवान ने आपको इंसान बना कर कोई गलती नहीं की हैं।
सतगुरू की दृष्टि भी आपके ऊपर पड़े तो आपका काया कल्प निश्चित होता है। गुरू की एक झलक आपका जीवन नंदनवन बना सकती है। तुम सतगुरू की धर्म की शरण में आ जाओ, सब कुछ मिल जायेगा। धर्म अपने स्वभाव में रमण करता है। चार दिवसीय ध्यान शिविर के दूसरे दिन साढ़े चार सौ शिविरार्थियों ने भाग लिया।