दो हज़ार स्वयं सहायता समूह की ग्रामीण महिलाएं कर्मवीर बन कर कोरोना से लड़ाई में निभा रही महत्वपूर्ण भूमिका, 1 लाख से अधिक मास्क बनाएं
वैश्विक महामारी के समय में यूं तो हर व्यक्ति अपने अपने तरीके से किसी ना किसी तरह जरूरतमंद की मदद कर एकजुटता के साथ देश के जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभाते हुए सहयोग कर रहा है लेकिन इस दौर में ग्रामीण क्षेत्र की 2 हजार सखी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अलग अलग जगह पर रहते हुए भी इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
हिन्दुस्तान जिंक की सखी परियोजना से जुडी ये महिलाएं कंपनी की इकाई के आसपास की वों महिलाएं है जो कि स्वयं सहायता समूह से जुड़ कर आत्मनिर्भर होने और परिवार, समाज और राष्ट्र को सशक्त करने की भावना से एकजुट हुई। वर्तमान विपत्ति और आपदा के दौर में ये महिलाएं अब परिवार से पहले राष्ट्र और समाजोत्थान के लिए एकजुट हो कर हर संभव मदद कर योगदान करते हुए राष्ट्र सेविका और रोल माॅडल की भूमिका निभा रही है। राजस्थान के 5 जिलों उदयपुर, राजसमंद, चित्तौडगढ़, भीलवाड़ा और अजमेंर सहित उत्तराखंड के पंतनगर में संचालित सखी परियोजना के तहत् इन महिलाओं को मंजरी फाउण्डेशन के सहयोग से इनकी रूचिअनुसार प्रशिक्षित किया गया। इन महिलाओं द्वारा हिन्दुस्तान जिं़क की पहल से अनुकरणीय कार्य करते हुए अपने अपने क्षेत्र में 75 ग्राम संगठनो के जरिये जरूरतमंद लोगो के लिए खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए ना सिर्फ ग्रेन बैंक की स्थापना की बल्कि उसमें स्वयं के खेतों में उपजे और घर के लिए इकटठे किये अनाज, चावल और दालांे से लगभग 10 हजार किलो खाद्यान्न एकत्रित किया। जिसे दिहाड़ी मजदूरों और जरूरतमंद लोगो तक पहंुचाने का कार्य किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में होने और उचित जरूरतमंद तक खाद्यान्न पहंुचाने के लिए इन महिलाओं द्वारा स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ही उपलब्धता सुनिश्चित की गयी जो कि पात्र व्यक्ति तक व्यकितगत तौर पर पहुंचाया जा रहा हैं। हिन्दुस्तान जिं़क की सखी परियोजना से जुड़ी महिला सदस्यों के इस अभूतर्पूव कार्य के साथ ही अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन के साथ मिलकर इन कर्मयोगी महिलाओं ने ‘अपनी रसोई‘ की स्थापना भी की है जिससे जरूरतमंद तक पका हुआ भोजन भी पहंुच सकें।
कोविड 19 महामारी के इस संकट के समय में सखी महिलायें ग्रामीण जन को जागरूक करने के साथ ही स्वयं आगे आ कर मदद के लिए हौंसला दिखा रही हैं। मास्क और जरूरतमंदों तक खाद्य सामग्री और भोजन वर्तमान समय की बड़ी जरूररत है। जिसे सखी महिलाएं पूरा करने में जुटी है इस अनुकरणीय और महिला सशक्तिकरण के कदम के लिए स्वयं सहायता समूह और उनसे जुडी महिलायें बधाई की पात्र है।‘
सुनील दुग्गल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, हिन्दुस्तान जिंक
भोजन के साथ ही पीपीई की पूर्ति में भी सहयोग
खाद्यान्न और भोजन उपलब्ध कराने के साथ ही इन महिलाओं द्वारा कोरोना योद्धाओं और लोगो को संक्रमण से मुक्त रखने के लिए महत्वपूर्ण और आवश्यक पीपीई मास्क का उत्पादन एवं वितरण को सुनिश्चित किया है। अब तक 1.25 लाख कपडे़ के मास्क का उत्पादन कर समूह के नेटवर्क से उन्हंे आवश्यक और जरूरतमंदो तक पहुंचाने का कार्य किया है। इन मास्क को कंपनी द्वारा समुदाय के लोगो, जरूरतमंदों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, पुलिस, आंगनवाडी और आशा कार्यकर्ताओं एवं कोरोना महामारी में अग्रणी भूमिका निभा रहे लोगो को निःशुल्क उपलब्ध कराया गया है। सखी समूह की महिलाओं द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में जागरूकता एवं सही जानकारी उपलब्ध कराने के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी जा रही है। इन महिलाओं द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप के नेटवर्क का व्यवस्थित उपयोग करते हुए भ्रांतियों को दूर करने और संक्रमण से बचाव की सही जानकारी ग्रामीणों को उपलब्ध करायी जा रही है।
आजीविका में सहायक हुई पहल
सखी महिलाओं द्वारा मास्क के उत्पादन से ना सिर्फ संक्रमण से बचाव के लिए सहयोग हो पाया है बल्कि इससे इन्हें आर्थिक संकट के दौर में आत्मनिर्भर होने और परिवार को संबंल देने में भी यह पहल सहायक सिद्ध हुई है। करीब 150 से अधिक महिलाएं मास्क के उत्पादन से अब तक 8 लाख से अधिक का व्यवसाय कर आमदनी का जरिया बना चुकी है।
चंदेरिया सयंत्र के निकटवर्ती पुठोली गांव की सांवरिया स्वयं सहायता समूह से जुडी जमना खटीक का कहना है कि उसने इस संक्रमण के दौर में देश के लिए कुछ सकारात्मक सोच के साथ कार्य करने का विचार किया और जिसे परिणित करने के लिए सखी उत्पादन समिति से जुडकर मात्र दो सप्ताह में 3 हजार 115 मास्क बनाने के साथ ही समूह द्वारा तैयार किये जा रहे मास्क बनाने में योगदान करने पर उसे 16 हजार से अधिक रूपयों की आय हुई है।
इसी प्रकार सखी समूह की सदस्य अमिशा ने देशभक्ति की भावना के साथ 15 महिलाओं के समूह के साथ मंजरी फाउण्डेशन प्रशिक्षण प्राप्त कर मात्र 12 दिनों में 1500 मास्क तैयार किये वहीं समूह की अन्य महिलाओं द्वारा बनाए जाने वाले 8855 मास्क बनाने में सहयोग करने के फलस्वरूप उसे 20 हजार से अधिक की आय हुई।